‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ में भारत की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी: आईबीएम

नई दिल्ली, 18 फरवरी . आईबीएम इंडिया, साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल ने कहा, ”आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में भारत की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है और सबसे अच्छी बात यह है कि सरकार न केवल एआई तकनीक को बढ़ाने को लेकर काम कर कर रही है, बल्कि इस क्षेत्र में कौशल बढ़ाने के लिए भी प्रयासरत है.

पटेल ने से बात करते हुए कहा कि एआई के साथ ‘आत्मनिर्भर’ होने के लिए भारत को जल्द ही खुद को दुनिया में एआई अपनाने और नवाचार के केंद्रों में से एक के रूप में स्थापित करना होगा.

उन्‍होंने कहा, ”हालांकि प्रगति हो रही है, एआई स्किलिंग और अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने वाले विभिन्न डोमेन नीति निर्माण के बीच बिंदुओं को जोड़कर एआई में तेजी आने की गुंजाइश है. अनुसंधान एवं विकास बहुत आवश्यक होगा, और हमें यह सब जिम्मेदारी से करना होगा.”

पिछले दिसंबर में नई दिल्ली में की गई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक साझेदारी की घोषणा में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया था कि सरकार का प्रयास सामाजिक विकास और समावेशी विकास के लिए एआई की क्षमताओं का पूरा लाभ उठाना है.

पीएम मोदी ने कहा था, ”भारत एआई के जिम्मेदार और नैतिक उपयोग के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हमने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया है, हम भारत एआई मिशन भी शुरू करने जा रहे हैं.

इस मिशन का लक्ष्य भारत में एआई कंप्यूट पावर की पर्याप्त क्षमता स्थापित करना है. इस मिशन के तहत कृषि स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई अनुप्रयोगों को बढ़ावा दिया जाएगा.

पटेल ने कहा कि सरकार विभिन्न डोमेन में एआई क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने की योजना बना रही है.

उन्होंने से कहा, “सरकार इस तकनीक के व्यावहारिक प्रयोग को लेकर भी गंभीर है.”

कंपनी द्वारा किए गए नए शोध में पाया गया है कि भारत में लगभग 59 प्रतिशत उद्यम-स्तर के संगठन अपने व्यवसायों में सक्रिय रूप से एआई का उपयोग कर रहे हैं.

”आईबीएम ग्लोबल एआई एडॉप्शन इंडेक्स 2023 में पाया गया कि इसे शुरुआती तौर पर अपनाने वाले आगे बढ़ रहे हैं. 74 प्रतिशत भारतीय उद्यम पहले से ही एआई के साथ काम कर रहे हैं, जिन्होंने 24 महीनों में अनुसंधान एवं विकास और वर्कफोर्स री-स्किलिंग जैसे क्षेत्रों में एआई को अपनाया है.”

नैसकॉम के एक हालिया अध्ययन के अनुसार, एआई और ऑटोमेशन में 2025 तक भारत की जीडीपी में 500 अरब डॉलर तक जोड़ने की क्षमता है.

पटेल ने कहा कि एआई विश्व स्तर पर विकास के लिए महत्‍वपूर्ण है, लेकिन स्पष्ट रूप से भारत के तकनीकी विकास के लिए भी यह बेहद जरूरी है.

पटेल ने को बताया, “हमारा मानना है कि एआई क्रांति में भारत की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है. भारत में एआई के क्षेत्र में विस्फोट और प्रगति हुई है. हालांकि उद्यमों में एआई को अपनाने के लिए अभी भी चुनौतियां सामने आ रही हैं, इनमें सही कौशल-सेट वाले कर्मचारियों को काम पर रखना भी शामिल है. डेटा जटिलता को लेकर नैतिक चिंताएं और मुद्दे हैं.”

पिछले साल, आईबीएम ने आईटी मंत्रालय के साथ तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए, उनमें से एक एआई के प्रसार से संबंधित था. आईबीएम ने 2030 तक दुनिया भर में 30 मिलियन लोगों को कौशल प्रदान करने और 2026 के अंत तक वैश्विक स्तर पर दो मिलियन शिक्षार्थियों को एआई में प्रशिक्षित करने की प्रतिबद्धता जताई है.

एमकेएस/