भारत का वैश्विक नेतृत्व: ब्रिक्स और G7 के बीच संतुलन में भारत की उभरती भूमिका

भारत आज वैश्विक मंच पर एक ऐसी शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है, जो अपनी कूटनीतिक चतुराई और संतुलनकारी भूमिका के कारण पश्चिमी देशों और वैश्विक दक्षिण के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बन गया है. आज जब दुनिया में भू-राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं, भारत ने न केवल अपने हितों की रक्षा की है, बल्कि कूटनीति के जटिल गलियारों में नए मानदंड भी स्थापित किए हैं.

BRICS और G7 के बीच संतुलन बनाने की भारत की रणनीति

BRICS में भारत का योगदान वैश्विक शक्ति-संतुलन में उसकी अनूठी भूमिका को दर्शाता है. चीन और रूस जैसे देशों के साथ भारत ने अपने संबंधों को बनाए रखने में जो कुशलता दिखाई है, वह काबिले-तारीफ है. इन देशों के साथ एक सहयोगात्मक रिश्ता बनाए रखते हुए भारत ने G7 के अमेरिका, जापान और यूरोपीय देशों के साथ भी मज़बूत साझेदारी कायम की है. यह एक ऐसा संतुलन है जो किसी भी अन्य वैश्विक शक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है.

कनाडा के साथ खालिस्तान विवाद के कारण हाल ही में रिश्तों में खटास आई है, लेकिन बाकी G7 देशों के साथ भारत की साझेदारी बरकरार है. G7 देशों के साथ अपनी भूमिका को बनाए रखते हुए, भारत ने एक ऐसा स्थान बना लिया है जहां यह पश्चिमी ताकतों के साथ भी खड़ा रह सकता है और वैश्विक दक्षिण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी दर्शा सकता है.

रूस और चीन के साथ कूटनीतिक समझदारी

भारत की कूटनीतिक कुशलता की झलक रूस और चीन के साथ उसके संबंधों में भी साफ नजर आती है. यूक्रेन संकट के दौरान भारत ने रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के दबाव का सामना करते हुए भी तटस्थ रुख बनाए रखा. इस कदम ने न केवल भारत को शांति और संवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर दिया, बल्कि वैश्विक शांति मध्यस्थ के रूप में उसकी भूमिका को भी मजबूत किया. रूस के साथ भारत का संबंध केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.

रूस के साथ उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) के विकास में भारत की भागीदारी उसके व्यापारिक मार्गों को सुरक्षित करने और ऊर्जा संसाधनों की पहुँच को सुनिश्चित करने के महत्व को दर्शाती है. यह भारत के भू-राजनीतिक महत्व को और मजबूत करता है और उसे वैश्विक शक्ति समीकरण में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाता है.

चीन के साथ कूटनीतिक संतुलन

भारत और चीन के संबंधों की जटिलता ऐतिहासिक रूप से काफी गहरी है. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और व्यापारिक प्रतिस्पर्धा जैसी चुनौतियाँ हैं, लेकिन इसके बावजूद BRICS जैसे मंचों पर भारत ने चीन के साथ सहयोग बनाए रखा है. हालाँकि चार साल से चल रहे सीमा गतिरोध के कारण दोनों देशों के बीच तनाव है, परंतु वैश्विक मंचों पर भारत ने अपने राजनयिक प्रभाव को बनाए रखा है.

BRICS शिखर सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों में भारत की उपस्थिति दर्शाती है कि वह न केवल अपने लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका बना रहा है, बल्कि वैश्विक सहयोग की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है.

जी7 देशों के साथ बढ़ते संबंध

कनाडा को छोड़कर, G7 के अन्य सदस्यों के साथ भारत के मजबूत रिश्ते उसकी कुशल कूटनीति का प्रमाण हैं. आतंकवाद विरोधी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर G7 के साथ भारत की एकजुटता उसे एक सशक्त वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और जापान के साथ मजबूत रक्षा समझौते इस क्षेत्र में भारत के नेतृत्व को और सशक्त करते हैं.

वैश्विक शक्ति-समीकरण में भारत की भूमिका केवल रणनीतिक ही नहीं है, बल्कि यह उसे एक ‘विश्वसनीय साथी’ के रूप में भी स्थापित करती है. इससे भारत को न केवल अपने हित सुरक्षित रखने में मदद मिलती है, बल्कि यह उसे एक कूटनीतिक पुल के रूप में भी दर्शाती है जो पश्चिमी देशों और वैश्विक दक्षिण के बीच संतुलन बनाकर चलता है.

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2024 में भारत की प्रमुख भूमिका

2024 में भारत ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है. यह आयोजन भारत को वैश्विक शक्ति-संतुलन में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में प्रस्तुत करेगा. भारत ने BRICS में अपनी रणनीतिक स्थिति को बड़े प्रभावी ढंग से स्थापित किया है, जो उसे वैश्विक राजनीति में अन्य प्रमुख शक्तियों के बीच एक विशेष स्थान दिलाता है. यह शिखर सम्मेलन भारत के वैश्विक नेतृत्व का प्रतीक होगा और इसे एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर के रूप में देखा जा सकता है, जहां यह अपनी भू-राजनीतिक स्थिति को और मजबूत कर सकता है.

वैश्विक मंच पर भारत का बढ़ता कद

भारत की कूटनीति में दिखता संतुलन न केवल वैश्विक शक्ति संतुलन को समझने का परिचायक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत किस प्रकार अपनी आर्थिक और राजनीतिक ताकत को बढ़ा रहा है.

एक ओर BRICS के माध्यम से वह चीन और रूस के साथ अपनी सहभागिता को बरकरार रखता है, वहीं दूसरी ओर G7 के पश्चिमी देशों के साथ भी ठोस और मजबूत रिश्ते बनाए रखता है. यह भारत के बढ़ते वैश्विक कद को रेखांकित करता है और उसे वैश्विक कूटनीति का एक महत्वपूर्ण और प्रभावी खिलाड़ी बनाता है.

निष्कर्ष

भारत ने आज अपने राजनयिक कौशल और कूटनीतिक सूझबूझ से विश्व राजनीति में एक नया अध्याय लिखा है. वैश्विक मंच पर इसका संतुलित और मजबूत दृष्टिकोण न केवल भारत को एक प्रमुख शक्ति के रूप में प्रस्तुत करता है, बल्कि यह उसे विश्व शांति और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्ध एक राष्ट्र के रूप में भी स्थापित करता है.

चीन और रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखते हुए और G7 के पश्चिमी देशों के साथ सामरिक साझेदारी को संतुलित करते हुए, भारत आज एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभर रहा है जो अपने दम पर वैश्विक शक्ति-संतुलन को प्रभावित कर सकता है.

आज भारत का नेतृत्व, उसकी नीति और उसकी कूटनीति यह साबित करती है कि वह वैश्विक शांति और स्थिरता का एक प्रमुख स्तंभ बन सकता है.

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