नई दिल्ली, 17 अप्रैल . भारत 2025 में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बना रहेगा और इस दौरान देश की जीडीपी विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है. यह जानकारी यूएनसीटीएडी की रिपोर्ट में दी गई.
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की विकास दर में तेजी ऐसे समय पर बनी हुई है, जब इंटरनेशनल ट्रेडिंग सिस्टम द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार इतनी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है और दुनिया मंदी के रास्ते पर जा रही है.
यूएन की रिपोर्ट में भारत को उन देशों में शामिल किया गया है जो उच्च सरकारी व्यय और मौद्रिक नीति प्रोत्साहन के साथ विकास को गति दे रहे हैं.
रिपोर्ट में जारी अनुमान के मुताबिक, चीन की वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रह सकती है, जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के एक प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है. यूरोपीय संघ की वृद्धि दर भी 1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, हालांकि, फ्रांस, जर्मनी और इटली की जीडीपी वृद्धि दर 1 प्रतिशत से कम रहने की उम्मीद है. इसी तरह, जापान की जीडीपी वृद्धि दर घटकर मात्र 0.5 प्रतिशत रह सकती है.
रिपोर्ट में बताया गया कि 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में वैश्विक व्यापार में तेजी आंशिक रूप से फ्रंट-लोडेड ऑर्डर के कारण आई. उम्मीद है कि 2025 के बाकी समय में यह गति कम हो जाएगी. इसकी वजह नए टैरिफ लागू होना. व्यापार नीति अनिश्चितता पहले से ही व्यवसायों और लंबी-अवधि के निर्णयों को प्रभावित कर रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते व्यापारिक तनाव के बीच, विकासशील देशों को मौजूदा व्यापार संबंधों का लाभ उठाना चाहिए और अंतर-क्षेत्रीय और दक्षिण-दक्षिण व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बहुपक्षीय ढांचे और क्षेत्रीय व्यवस्थाओं की तलाश करनी चाहिए. “खुले क्षेत्रवाद” की रणनीति वैश्विक गतिरोध के लिए एक व्यावहारिक विकल्प और विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने का मार्ग प्रदान कर सकती है.
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के मामले में, राजकोषीय और मौद्रिक प्रोत्साहन उपायों के साथ-साथ संरचनात्मक नीतियों को बढ़ावा देने से विकास को समर्थन मिलने की उम्मीद है. इसी तरह, रियल एस्टेट क्षेत्र को स्थिर करने के लिए की गई नीतिगत कार्रवाइयों ने उम्मीद के अनुसार प्रभाव डाला है और 2024 के अंत से इस क्षेत्र की गिरावट का ट्रेड कम हो गया था. हालांकि, बढ़ती हुई कठिन बाहरी परिस्थितियां विकास के लिए जोखिम बनी हुई हैं.
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एबीएस/