कर राजस्व में वृद्धि के कारण ‘भारत’ का राजकोषीय घाटा कम होने की उम्मीद : विश्व बैंक

नई दिल्ली, 19 जनवरी . विश्व बैंक की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते कर राजस्व के कारण भारत में राजकोषीय घाटा लगातार कम होने की संभावना जताई जा रही है.

इस ट्रेंड को सरकार के राजकोषीय कंसोलिडेशन प्रयासों को बढ़ावा देने के रूप में देखा जा रहा है. विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत में, राजकोषीय घाटे में कमी जारी रहने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण कर राजस्व में वृद्धि है.”

विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, जहां एक ओर भारत अपनी सुधरती राजकोषीय स्थिति के साथ मजबूत स्थिति में है, दूसरे दक्षिण एशियाई देशों में राजकोषीय घाटा स्थिर रहने का अनुमान है. दूसरे दक्षिण एशियाई देशों में राजकोषीय घाटा स्थिर रहने का कारण पाकिस्तान में उच्च ब्याज भुगतान और बांग्लादेश में इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश द्वारा राजकोषीय एडजस्टमेंट की भरपाई किया जाना है.

राजकोषीय परिदृश्य में सुधार के बावजूद, रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि दक्षिण एशिया में सरकारी ऋण-से-जीडीपी अनुपात उच्च बना रहेगा, हालांकि इसमें धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद है. लगातार उच्च उधारी लागत के कारण कई देशों में ऋण-सेवा लागत के उच्च बने रहने का अनुमान है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “क्षेत्र में सरकारी ऋण-से-जीडीपी अनुपात में धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद है, लेकिन वे उच्च बने रहेंगे.”

विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिर विनिमय दरों के कारण क्षेत्र में मुद्रास्फीति में अनुमानित अवधि के दौरान नरमी आने का अनुमान है. भारत, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों में मुद्रास्फीति लक्ष्य सीमा के भीतर या उससे नीचे रहने की उम्मीद है.

भारत के दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने का अनुमान है, जिसमें वित्त वर्ष 2025-26 और वित्त वर्ष 2026-27 के लिए 6.7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि हो सकती है.

रिपोर्ट के अनुसार, भारत के सर्विस सेक्टर में निरंतर वृद्धि होगी और मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी मजबूत रहेगी, जो लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और कर नियमों को सरल बनाने के लिए सरकारी पहलों की वजह से होगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम बाजार में सुधार, ऋण उपलब्धता में वृद्धि और मुद्रास्फीति में कमी से निजी उपभोग वृद्धि को बढ़ावा मिलने की संभावना है. हालांकि, सरकारी उपभोग वृद्धि के सीमित रहने की उम्मीद है.

एसकेटी/केआर