भारत की क्रेडिट डिमांड मजबूत, कुल एयूएम 121 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा : रिपोर्ट

New Delhi, 12 अगस्त . तेजी से बढ़ते डिजिटलीकरण, बढ़ती उपभोक्ता आकांक्षाओं और स्ट्रॉन्ग फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर के बल पर भारत की क्रेडिट डिमांड मजबूत बनी हुई है. यह जानकारी Tuesday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.

ग्लोबल डेटा और टेक्नोलॉजी कंपनी एक्सपेरियन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मार्च 2025 तक इंडस्ट्री एसेट्स अंडर मैनेजमेंट 121 लाख करोड़ रुपए थीं, जो सालाना आधार पर 21 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि तिमाही के दौरान नए ऋण वितरण 16 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गए, जो सालाना आधार पर 10 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 8 प्रतिशत की वृद्धि है. यह मुख्य रूप से गोल्ड लोन, बिजनेस लोन और लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (एलएपी) में निरंतर वृद्धि के कारण हुआ.

एक्सपीरियन के भारत में कंट्री मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष जैन ने कहा, “डिजिटलीकरण, बदलती उपभोक्ता आकांक्षाओं और एक स्ट्रॉन्ग फाइनेंशियल इंफ्रास्ट्रक्चर की पृष्ठभूमि में भारत का क्रेडिट इकोसिस्टम लगातार विकसित हो रहा है.”

उन्होंने आगे कहा कि हमारा लेटेस्ट क्रेडिट इनसाइट विशेष रूप से सुरक्षित ऋण और छोटे-टिकट वाले व्यक्तिगत ऋणों में इस मांग की संरचनात्मक गहराई को रेखांकित करता है, जो बढ़ते उपभोक्ता विश्वास और जिम्मेदारी उधारी दोनों की ओर इशारा करता है.

वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में सुरक्षित ऋण परिदृश्य में तेजी देखी गई, जिसमें ऋणों का योगदान कुल ऋणों के 32 प्रतिशत के बराबर था.

रिपोर्ट के अनुसार, इस सेगमेंट में 1.7 लाख रुपए के स्थिर एवरेज टिकट साइज भी देखे गए, जो उधारकर्ताओं के निरंतर व्यवहार और स्वस्थ ऋण रुचि को दर्शाता है.

असुरक्षित ऋण मजबूत बना रहा, पोर्टफोलियो में तिमाही आधार पर 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसका नेतृत्व बिजनेस लोन पोर्टफोलियो में तिमाही आधार पर 22 प्रतिशत की वृद्धि ने किया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्सनल लोन ने मात्रा और मूल्य दोनों में असुरक्षित सेगमेंट पर अपना दबदबा बनाए रखा. कुल मिलाकर, पर्सनल लोन और गोल्ड लोन दोनों ही उच्च टिकट साइज की ओर रुख कर रहे हैं.

हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त वर्ष 25 की चौथी तिमाही में क्रेडिट कार्ड वितरण में गिरावट देखी गई, जिसमें क्रेडिट कार्ड सोर्सिंग में तिमाही आधार पर 2 प्रतिशत की कमी आई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने होम और गोल्ड लोन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने एलएपी और यूज्स कार लोन सेगमेंट में अपनी उपस्थिति मजबूत की.

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