नई दिल्ली, 20 जून . एक दौर था जब भारत में बैडमिंटन को पुरुषों का खेल माना जाता था. लेकिन, इस प्रभुत्व को साइना नेहवाल ने तोड़ा. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से न सिर्फ अपना मकाम बनाया बल्कि पूर्व के सारे भारतीय रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए सफलता और लोकप्रियता के मामले में देश के अन्य बैडमिंटन खिलाड़ियों से काफी आगे निकल गईं.
साइना नेहवाल ने अपने करियर में दर्जनों उपलब्धियां हासिल की हैं. 21 जून का दिन भी उनके लिए बेहद खास है. 2009 में इसी दिन उन्होंने इतिहास रचा था. 21 जून 2009 को साइना ने ‘इंडोनेशियाई ओपन’ जीतते हुए ‘सुपर सीरीज बैडमिंटन टूर्नामेंट’ का खिताब जीता. वह यह खिताब जीतने वाली पहली भारतीय थीं. इस उपलब्धि ने भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में साइना का नाम हमेशा के लिए स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा दिया.
नेहवाल का जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में हुआ था. बैडमिंटन में उनकी रुचि बचपन से थी. इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि उनके माता-पिता दोनों ही बैडमिंटन खिलाड़ी थे. सायना नेहवाल ने 2004 में पूर्व भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की एकेडमी 2004 में ज्वाइन की. इसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपना और देश का नाम गर्व से ऊंचा किया.
इस खिलाड़ी की उपलब्धियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. 2012 में लंदन में आयोजित ओलंपिक में उन्होंने ब्रांज जीता. ओलंपिक में बैडमिंटन में ब्रांज जीतने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी थीं. 2015 जकार्ता विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर और 2017 ग्लासगो विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रांज जीता. 2010 और 2018 कॉमनवेल्थ में एकल में गोल्ड मेडल साइना के नाम रहे. 2006 में ‘एशियन सैटलाइट चैंपियनशिप’, 2010 में ‘सुपर सीरीज टूर्नामेंट’, और 2012 में ‘डेनमार्क खिताब’ भी नेहवाल ने जीते हैं.
साइना नेहवाल को भारत सरकार 2009 में अर्जुन पुरस्कार, 2010 में पद्मश्री, 2009-2010 के खेल रत्न पुरस्कार और 2016 में पद्मविभूषण से सम्मानित कर चुकी है.
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पीएके/केआर