नई दिल्ली, 4 मार्च . वैश्विक ऑरिजिनल इक्विपमेंट निर्माता (ओईएम) अपनी सप्लाई चेन और विनिर्माण रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन कर रहे हैं, जिससे देश के पास निवेश के मामले में खुद को टॉप ग्लोबल डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करने और ऑटो कंपोनेंट निर्यात में 100 अरब डॉलर तक पहुंचने का एक बेहतर अवसर है.
वित्त वर्ष 2023-24 में ऑटो कंपोनेंट निर्यात 21.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया. वित्त वर्ष 2018-19 में देश के ऑटो कंपोनेंट निर्यात की तुलना में आयात 2.5 अरब डॉलर अधिक था. पिछले वित्त वर्ष में निर्यात आयात से 30 करोड़ डॉलर अधिक रहा, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाता है.
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, क्लासिकल कंपोनेंट पर दोगुना जोर देने के साथ, भारत संभावित रूप से 11 प्रोडक्ट फैमिली को प्राथमिकता देकर बढ़ते निर्यात में 40-60 अरब डॉलर और जोड़ सकता है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि स्थानीयकरण के माध्यम से आज उभरते हुए ईवी सेक्टर और इलेक्ट्रॉनिक वैल्यू चेन का लाभ उठाते हुए भारत बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम, टेलीमैटिक्स यूनिट, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और एबीएस जैसे कंपोनेंट का निर्यात 15-20 अरब डॉलर बढ़ाने की उम्मीद कर सकता है.
एसीएमए की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने कहा, “हमने न केवल पॉजिटिव ट्रेड बैलेंस हासिल किया है, बल्कि विशेष रूप से वाहनों में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट के लिए सरप्लस और भी अधिक स्पष्ट है; यह लगभग 50-150 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है. हम इस विकास को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और आगे निर्यात में 100 अरब डॉलर का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखते हैं.”
ग्लोबल ओईएम भारत के ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री के प्रमुख ग्राहक हैं, जो निर्यात का 20-30 प्रतिशत हिस्सा हैं.
बीसीजी के प्रबंध निदेशक और वरिष्ठ भागीदार विक्रम जानकीरमन ने कहा कि दो-तीन ग्लोबल ओईएम को भारत में विनिर्माण आधार स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना आधार स्तंभ के रूप में काम कर सकता है.
जर्मन बाजार में भारत एक लागत प्रभावी विकल्प के रूप में उभरता है, जो 15 प्रतिशत कम कीमतों पर ऑटो कंपोनेंट प्रदान करता है.
वर्तमान में ज्यादातर मेक्सिको और चीन से आयात पर निर्भर अमेरिकी बाजार में कम लॉजिस्टिक्स और टैरिफ लागत के कारण मेक्सिको दो से पांच प्रतिशत तक कम कीमतों पर कंपोनेंट प्रदान करता है.
इसके विपरीत, चीनी कंपोनेंट मुख्य रूप से अतिरिक्त टैरिफ के कारण भारत की तुलना में 20-25 प्रतिशत महंगे हैं.
एसीएमए में महानिदेशक विनी मेहता ने कहा, “इस अवसर का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए प्रमुख भारतीय कंपनियों को अपने निर्यात को 5-10 गुना बढ़ाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में गहरी पैठ बनाने का लक्ष्य रखना चाहिए.”
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एसकेटी/एकेजे