नई दिल्ली, 7 सितंबर . बैटरी विनिर्माण उद्योग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी और संबंधित घटक विनिर्माण क्षेत्र अगले 5 वर्षों में 90 बिलियन डॉलर (7.5 लाख करोड़ रुपये) के निवेश को आकर्षित या हासिल कर सकता है.
इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (आईईएसए) के अनुसार, एसीसी विनिर्माण उद्योग में इस अवधि के दौरान 50,000 प्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करने की भी क्षमता है.
आईईएसए भारत में एसीसी कारखानों की स्थापना और कमीशनिंग के लिए विदेशी विशेषज्ञों को बिजनेस वीजा जारी करने के लिए एसीसी-पीएलआई विड विनर और गैर-पीएलआई कंपनियों के बीच नीति की समानता की मांग कर रहा है.
आईईएसए की सिफारिशों और उद्योग की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने घोषणा की है कि पीएलआई योजना या पीएलआई के तहत भारतीय कंपनियों द्वारा नियुक्त किए जा रहे विदेशी विषय विशेषज्ञों/इंजीनियरों/तकनीकी लोगों को 6 महीने की अवधि के लिए मल्टीपल एंट्री बिजनेस वीजा (गैर-विस्तार योग्य) की सुविधा दी जाएगी. इसके बारे में संबंधित मंत्रालय के द्वारा अनुमोदन भी किया गया है.
यह स्थापना और कमीशनिंग, गुणवत्ता जांच के साथ आवश्यक रखरखाव, उत्पादन, आईटी और डीआरपी रैंप-अप, प्रशिक्षण, पैनलबद्ध विक्रेताओं के लिए आपूर्ति श्रृंखला विकास, प्लांट डिजाइन के अलावा कई अन्य चीजों के लिए लागू होगा.
इंडिया एनर्जी स्टोरेज एलायंस (आईईएसए) के अध्यक्ष देबी प्रसाद दास ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत में अगले पांच वर्षों में अतिरिक्त 100+ गीगावॉट एसीसी बैटरी और बैटरी में इस्तेमाल होने वाले घटक के कारखानों के विकास के लिए अवसर पैदा करेगा.
उन्होंने कहा, “इसके अतिरिक्त, इससे एसीसी आयात के कारण विदेशी मुद्रा की कमी से राहत मिलेगी और चीन और अन्य देशों पर भारत की निर्भरता कम होगी.”
वैश्विक ईवी विनिर्माण केंद्र बनने के लिए, भारत को ईवी और उनके घटकों के लिए एक व्यापक और स्वदेशी मूल्य श्रृंखला विकसित करनी होगी.
वर्तमान में, एसीसी बैटरी का निर्माण (जो ईवी की लागत का कम से कम 50 प्रतिशत है) भारत में शुरुआती चरण में है.
भारी उद्योग मंत्रालय भारत में 50 गीगावॉट स्वदेशी एसीसी विनिर्माण स्थापित करने के लक्ष्य के साथ 2022 में पीएलआई एसीसी योजना लाई थी.
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