विक्टिमोलॉजी के भारतीय विशेषज्ञ के. चोकालिंगम का डब्ल्यूएसवी हैंस वॉन हेंटिंग पुरस्कार के लिए चयन

नई दिल्ली, 12 जुलाई . विक्टिमोलॉजी (पीड़ितों के मनोविज्ञान) के जाने माने भारतीय प्रोफेसर के. चोकालिंगम को वर्ल्ड सोसायटी ऑफ विक्टिमोलॉजी (डब्ल्यूएसवी) ने हैंस वॉन हेंटिंग पुरस्कार के लिए चुना है.

यह पुरस्कार हर तीन साल पर ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जिसने विक्टिमोलॉजी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है. प्रोफेसर डॉ. चोकालिंगम विक्टिमोलॉजी के जाने माने एकेडमिशियन और शिक्षाविद हैं. शिक्षा और युवाओं के विकास के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए वह काफी सम्मानित शख्सियत हैं. अपराध-मनोविज्ञान और पीड़ितों के मनोविज्ञान के क्षेत्र में उनके अध्ययनों के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया है. वह मद्रास विश्वविद्यालय में क्रिमिनोलॉजी विभाग के संस्थापक सदस्य और विभागाध्यक्ष रह चुके हैं.

तमिलनाडु सरकार ने 2001 में उन्हें तिरुनेलवेली स्थित मनोमनियम सुंदरनार यूनिवर्सिटी का कुलपति नियुक्त किया था. डॉ. चोकालिंगम को राष्ट्रपति ने राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूथ डेवलपमेंट (आरजीएनआईवाईडी) का अध्यक्ष भी नियुक्त किया था.

वर्ल्ड सोसायटी ऑफ विक्टिमोलॉजी (डब्ल्यूएसवी) की अध्यक्ष जेनिस जोसेफ ने पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि विक्टिमोलॉजी के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट नेतृत्व तथा योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है. डॉ. चोकालिंगम वर्तमान में बेंगलुरु में आर.वी. यूनिवर्सिटी में मानद प्रोफेसर हैं. उनके पास जापान के तोकिवा यूनिवर्सिटी, और बाद में दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी जैसे ख्याति प्राप्त संस्थानों में क्रिमिनोलॉजी, क्रिमिनल लॉ और विक्टिमोलॉजी के अध्यापन और अनुसंधान में 50 साल से अधिक का अनुभव है.

वह मिलान में “अपराध रोकथाम एवं अपराधियों के साथ बर्ताव” विषय पर आयोजित सातवें संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में शामिल हुए थे जिसमें पहली बार अपराध पीड़ितों के लिए न्याय के बुनियादी सिद्धांतों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा को अंगीकार करने की राह प्रशस्त हुई और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1985 में पहली बार पीड़ितों के लिए मैग्नाकार्टा कहे जाने वाले इस उपाय को मंजूरी प्रदान की.

सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने की उनकी प्रतिबद्धता के कारण, विशेषकर समाज के वंचित एवं कमजोर वर्ग के लिए, उन्हें कई सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. शिक्षा के क्षेत्र में अपने कार्य और नेतृत्व के दम पर वह दुनिया भर में युवाओं और शिक्षाविदों को प्रेरित और सशक्त कर रहे हैं.

प्रोफेसर के. चोकालिंगम ने कहा, “मैं विक्टिमोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यक्रमों से जुड़ा रहा हूं जिनके कारण सरकार ने कई कदम उठाये हैं और बदलाव किये हैं. एक महत्वपूर्ण परियोजना महिला सुरक्षा से जुड़ी थी जिसके कारण तमिलनाडु सरकार ने राज्य में महिलाओं के लिए विशेष बसें चलाईं. पुलिस प्रशिक्षण में पहली बार विक्टिमोलॉजी की अवधारणा शामिल की गई.

यह पुरस्कार वर्ल्ड सोसायटी ऑफ विक्टिमोलॉजी द्वारा प्रदान किया जाता है जो एक गैर-लाभकारी संगठन है. संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद और यूरोपीय परिषद द्वारा उसे विशेष श्रेणी के सलाहकार का दर्जा प्राप्त है. चोकालिंगम को विक्टिमोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है. वह यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई और भारतीय हैं.

चोकालिंगम को इस साल सितंबर में गुजरात स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी ऑफ इंडिया में विक्टिमोलॉजी पर होने वाले 18वें डब्ल्यूएसवी अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम में यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा.

एकेजे/