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Mumbai , 8 नवंबर . भारतीय बेंचमार्क सूचकांक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा लगातार बिकवाली के बीच लगातार दूसरे सप्ताह भी गिरावट में रहे. सेंसेक्स और निफ्टी आखिरी कारोबारी दिन Friday को लाल निशान में बंद हुए. सेसेंक्स 94.73 अंक या 0.11 प्रतिशत की गिरावट के बाद 83,216.28 स्तर पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 17.40 अंक या 0.07 प्रतिशत की गिरावट के बाद 25,492.30 पर बंद हुआ.
सेंसेक्स इस सप्ताह 1,394.55 अंक या 1.65 प्रतिशत की गिरावट में रहा. वहीं, निफ्टी 183.25 अंक या 0.71 प्रतिशत के नुकसान में रहा.
मिश्रित वैश्विक संकेतों के बीच फेड के अगले रेट कट को लेकर खत्म होती उम्मीदों ने निवेशकों के सेंटीमेंट को प्रभावित किया. साथ ही, आईटी और मेटल सेक्टर के नुकसान ने भी इस गिरावट को बढ़ाया.
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, “दूसरी तिमाही के नतीजों ने भी कुछ सेक्टर्स को बढ़ावा दिया. वहीं, मजबूत फाइनेंशियल परफॉर्मेंस, बेहतर होती एसेट क्वालिटी और संभावित एफडीआई कैप बढ़त और सेक्टर कंसोलिडेशन की वजह से पीएसयू बैंक फोकस में रहा.
एनालिस्ट ने कहा कि बाय-ऑन-डिप्स रणनीति बेहतर साबित हुई क्योंकि अधिकतर निफ्टी 50 कंपनियों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक रहा और निरंतर पॉलिसी सपोर्ट से मौजूदा प्रीमियम वैल्यूएशन को बढ़ावा मिलने और आय में सुधार की उम्मीद है.
एनालिस्ट का कहना है कि अर्निंग ग्रोथ में वित्त वर्ष 25 में 5 प्रतिशत की तेज गिरावट ने वैल्यूएशन को बढ़ा दिया, जिसके साथ भारतीय बाजार दुनिया के सबसे महंगे बाजारों में एक बन गया.
उन्होंने आगे कहा कि इमर्जिंग और कुछ डेवलप्ड मार्केट लो वैल्यूएशन के साथ आकर्षित बन रहे हैं. एफआईआई India में बिकवाली के साथ अपने निवेश को सस्ते मार्केट में बढ़ा रहे हैं.
निफ्टी वर्तमान में वित्त वर्ष 27 की अनुमानित अर्निंग के 20 गुना से ऊपर ट्रेड कर रहा है. जो कि लास्ट 10 ईयर एवरेज पीई रेशो को कुछ ऊपर है.
एनालिस्ट ने कहा कि India के सुपर लॉन्ग-टर्म ग्रोथ क्षमता के साथ वर्तमान वैल्यूशन को उचित ठहराया जा सकता है.
इस बीच, India में मजबूत आर्थिक विकास और अर्निंग रिकवरी के संकेत मिलते हैं. जब लीडिंग इंडीकेटर इस ट्रेंड पर फोकस करेंगे तो एफआईआई भी अपनी बिकवाली को घटाने पर विचार करेंगे और अंत में खरीदार बनकर उभरेंगे.
अगले सप्ताह मार्केट की दिशा आगामी घरेलू मुद्रास्फीति डेटा, एफआईआई निवेश, अमेरिकी शटडाउन को लेकर डेवलपमेंट जैसे कारक तय करेंगे. इसके अलावा, अमेरिका, चीन और India को लेकर व्यापार वार्ताओं पर भी नजर रहेगी.
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एसकेटी/