मुंबई, 2 जनवरी . नए वर्ष 2025 के शुरुआती महीनों में भारतीय शेयर बाजार में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती है. इसकी वजह ग्रामीण इलाकों में उपभोग बढ़ना और सरकारी खर्च में इजाफा होना है, जिसका असर तीसरी तिमाही के कॉरपोरेट नतीजो पर दिखेगा. यह जानकारी गुरुवार को बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई.
रिपोर्ट में कहा गया कि कैलेंडर वर्ष 2024 में सेंसेक्स और निफ्टी 50 दोनों ने क्रमश: 8.7 प्रतिशत और 9 प्रतिशत का रिटर्न दिया है. इस साल सेंसेक्स ने नया ऑल-टाइम हाई बनाया और 85,500 के स्तर को पार किया. इस दौरान रियल एस्टेट, कंज्यूर ड्यूरेबल्स और आईटी सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले सेक्टर्स रहे.
रिपोर्ट में बताया गया कि सरकार लगातार राजकोषीय समेकन पर काम कर रही है और राजकोषीय घाटे को कम करके जीडीपी का 4.9 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है.
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि फरवरी 2025 में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया जा सकता है. फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर यथावत बनी हुई है.
2024 में रुपया डॉलर के मुकाबले 2.8 प्रतिशत घटा है लेकिन इसका प्रदर्शन अन्य मुद्राओं के मुकाबले काफी अच्छा रहा है .
बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री जाह्नवी प्रभाकर ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रुपये में कमजोरी को दूर करने के लिए विदेशी मुद्रा में हस्तक्षेप जारी रखा है. स्थिर चालू खाता घाटा और कच्चे तेल की कम कीमतों ने भी रुपये को सहारा दिया है.”
उन्होंने आगे कहा कि 2025 में रुपये में हल्की कमजोरी की उम्मीद है. इसकी वजह उच्च एफपीआई आउटफ्लो और डॉलर का मजबूत रहना है.
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि सितंबर 2024 में अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरो में कटौती शुरू किए जाने के बाद भी बॉन्ड यील्ड मजबूत बनी हुई है. यह दिखाता है महंगाई का जोखिम लगातार बना हुआ है. 2025 में बॉन्ड यील्ड पर डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में बनी सरकार के फैसलों का असर देखने को मिलेगा.
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एबीएस/