भारतीय रेलवे पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम को कर रहा अपग्रेड, एक लाख टिकट प्रति मिनट संभालने की होगी क्षमता

New Delhi, 9 अगस्त . भारतीय रेलवे मौजूदा पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम की क्षमता को अपग्रेड कर रहा है, इसके बाद यह एक लाख टिकट प्रति मिनट संभाल पाएगा, जो कि फिलहाल 25,000 प्रति मिनट है. यह जानकारी Government की ओर से दी गई.

भारतीय रेलवे, सेंट्रल फॉर रेलवे इन्फॉरमेशन सिस्टम्स (क्रिस) के माध्यम से पैसेंजर रिजर्वेशन सिस्टम (पीआरएस) का पूर्ण पुनर्गठन कर रहा है. पीआरएस के पुनर्गठन में हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, नेटवर्क उपकरण और सिक्योरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना और उनको प्रतिस्थापित करना शामिल है, जो नए फीचर्स को संभालने के लिए डिजाइन किए गए हैं, साथ ही, यह नई तकनीक पर आधारित हैं.

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में कहा कि वर्तमान पीआरएस सिस्टम 2010 में लागू किया था और यह इटेनियम सर्वर और ओपन वीएमएस (वर्चुअल मेमोरी सिस्टम) पर चलता है. इस कारण मौजूदा पीआरएस सिस्टम को पारंपरिक टेक्नोलॉजी सिस्टम से लेटेस्ट क्लाउड टेक्नोलॉजी सिस्टम में अपग्रेड करने की आवश्यकता है.

उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, यात्रियों की प्राथमिकताएं और आकांक्षाएं बदली हैं. आधुनिक पीआरएस का उद्देश्य यात्रियों की बढ़ी हुई आकांक्षाओं को पूरा करना है.

ट्रेनों में 1 नवंबर, 2024 से रिजर्वड टिकटों की बुकिंग के लिए एडवांस रिजर्वेंशन पीरियड (एआरपी) को घटाकर 60 दिन (यात्रा की तारीख को छोड़कर) कर दिया गया है, जो कि पहले 120 दिनों का था.

Union Minister ने कहा कि यह बदलाव बुकिंग के चलन को ध्यान में रखते हुए और अप्रत्याशित घटनाओं के कारण रद्दीकरण को कम करने के लिए किया गया है.

रेलवे ने हाल ही में ‘रेलवन’ ऐप लॉन्च किया है. यह ऐप यात्रियों को मोबाइल फोन पर रिजर्वड और अनरिजर्वड दोनों प्रकार की टिकट बुक करने में सक्षम बनाता है.

Union Minister के अनुसार, “बुकिंग के रुझान और फीडबैक के आधार पर एडवांस रिजर्वेंशन पीरियड (एआरपी) में बदलाव एक सतत और जारी प्रक्रिया है. वर्तमान पीआरएस प्रति मिनट लगभग 25,000 टिकट बुक कर सकता है और नई प्रणाली इस क्षमता से चार गुना अधिक क्षमता के लिए डिजाइन की गई है.”

इस अतिरिक्त, भारतीय रेलवे द्वारा संचालित ट्रेनों में गैर-एसी डिब्बों का प्रतिशत बढ़कर लगभग 70 प्रतिशत हो गया है और अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त 17,000 गैर-एसी सामान्य और शयनयान डिब्बों के उत्पादन के लिए एक स्पेशल मैन्युफैक्चरिंग कार्यक्रम लागू किया जा रहा है.

भारतीय रेलवे ने सामान्य श्रेणी में यात्रा की मांग करने वाले यात्रियों के लिए सुविधाओं में काफी वृद्धि की है. पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान ही, विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों में 1,250 सामान्य डिब्बों का उपयोग किया गया है.

एबीएस/