भारतीय नौसेना को मिली हंटर-किलर पनडुब्बी ‘आईएनएस वाघशीर’

नई दिल्ली, 9 जनवरी . ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बुधवार को भारतीय नौसेना को छठी स्कॉर्पीन पनडुब्बी वाघशीर की सुपुर्दगी की गई. इसे अब ‘आईएनएस वाघशीर’ के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा.

भारतीय नौसेना के लिए तैयार की गई हंटर-किलर पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर का पिछले साल 18 मई से समुद्री परीक्षण चल रहा था. यह पनडुब्बी दुश्मन पर एक भयावह हमला करने की क्षमता रखती है. हमला पानी के नीचे या सतह पर, एंटी-शिप मिसाइलों के साथ किया जा सकता है.

वाघशीर बहुआयामी तरह के मिशनों को कर सकती है. इसमे एंटी-सरफेस वारफेयर, एंटी-सबमरीन वारफेयर, खुफिया जानकारी जुटाना, एरिया सर्विलांस आदि शामिल हैं. इसे परिचालन के सभी क्षेत्रों में संचालित करने के लिए तैयार किया गया है, जो नौसेना टास्क फोर्स के अन्य घटकों के साथ इंटर ऑपरेबिलिटी प्रदर्शित करता है. यह एक शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म है, जो पनडुब्बी संचालन में एक परिवर्तनकारी बदलाव ला रहा है. इस पनडुब्बी में एक परिष्कृत एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली (आईपीएमएस) और एक लड़ाकू प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस) के साथ स्वचालन का एक बहुत ही उच्च स्तर है.

यह विभिन्न उपकरणों, प्रणालियों और सेंसर को एक प्रभावशाली प्लेटफ़ॉर्म में एकीकृत करता है. अत्याधुनिक विशेषताओं में उन्नत ध्वनिक मौन तकनीक, कम विकिरणित शोर स्तर, हाइड्रो-डायनामिक रूप से अनुकूलित आकार और सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके इसमें दुश्मन पर हमला करने की क्षमता जैसी बेहतरीन स्टील्थ विशेषताएं शामिल हैं. इस शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म की स्टील्थ को बढ़ाने के लिए, ध्वनिक, ऑप्टिकल, इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक और इंफ्रारेड सिग्नेचर को कम करने पर विशेष ध्यान दिया गया है. ये स्टील्थ विशेषताएं इसे एक ऐसी अभेद्यता प्रदान करती हैं, जो दुनिया की अधिकांश पनडुब्बियों से बेजोड़ है. इसके अतिरिक्त, वाघशीर पिछली पांच नौकाओं से अलग है, क्योंकि इस पनडुब्बी में मुख्य बैटरियों और कू-बैंड सैटकॉम के अलावा स्वदेशी रूप से विकसित एयर कंडीशनिंग प्लांट और आंतरिक संचार एवं प्रसारण प्रणाली भी लगी हुई है. ​कलवारी क्लास की यह पनडुब्बी प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाई गई है. ये इस क्लास की छठी सबमरीन है. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (“एमडीएल”) ने भारतीय नौसेना को यह स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वाघशीर’ सौंपी है. वाघशीर एक डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है. इसमें आधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग सिस्टम है. इसके साथ ही यह कई तरह की अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से लैस है.

स्वीकृति दस्तावेज पर गुरुवार को एमडीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक संजीव सिंघल और रियर एडमिरल आर अधी श्रीनिवासन, मुख्य स्टाफ अधिकारी (तकनीकी), पश्चिमी नौसेना कमान द्वारा हस्ताक्षर किए गए. वाघशीर को 20 अप्रैल 2022 को लॉन्च किया गया था. इसे एक वर्ष से अधिक समय तक व्यापक और कड़े परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरना पड़ा है, ताकि पूरी तरह से युद्ध योग्य पनडुब्बी की सुपुर्दगी सुनिश्चित की जा सके. एमडीएल के अध्यक्ष के मुताबिक वाघशीर की सुपुर्दगी के साथ, भारत ने पनडुब्बी निर्माण राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है.

एमडीएल ने भारत के एकमात्र शिपयार्ड के रूप में अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखा है, जो सभी आयामों में भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता रखता है. छह पनडुब्बियों, अर्थात् कलवरी, खंडेरी, करंज, वेला, वागीर और अब वाघशीर की सुपुर्दगी ने पनडुब्बी निर्माण राष्ट्रों के विशेष समूह में भारत की सदस्यता की पुष्टि की है.

विशेषज्ञों के मुताबिक इस स्कॉर्पीन पनडुब्बी में इस्तेमाल की गई अत्याधुनिक तकनीक ने बेहतरीन स्टील्थ विशेषताओं और सटीक निर्देशित हथियारों का उपयोग करके दुश्मन पर भयावह हमला करने की क्षमता सुनिश्चित की है. हमला पानी के नीचे या सतह पर किया जा सकता है. पनडुब्बी से यह हमला एंटी-शिप मिसाइलों के साथ किया जा सकता है. शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म की स्टील्थ को उसके विशिष्ट जलमग्न संकेतों पर दिए गए विशेष ध्यान से बढ़ाया जाता है. ये स्टील्थ विशेषताएं इसे एक ऐसी अजेयता प्रदान करती हैं, जो अधिकांश पनडुब्बियों से बेजोड़ है.

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