भारतीय मैन्युफैक्चरर्स अगले दो वर्षों में स्मार्ट टेक्नोलॉजी अपनाने पर करेंगे अधिक खर्च: सीआईआई

नई दिल्ली, 29 दिसंबर . भारतीय मैन्युफैक्चरर्स अगले दो साल में अपने बजट का 11 से 15 प्रतिशत स्मार्ट टेक्नोलॉजी को अपनाने पर खर्च करेंगे. यह जानकारी रविवार को जारी हुई सीआईआई स्टडी में दी गई.

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) की स्टडी में बताया गया कि ज्यादातर मैन्युफैक्चरर्स मुनाफे और प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए टेक्नोलॉजी को अहम मानते हैं. यह निवेश इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), रोबोटिक्स और बिग डेटा जैसे क्षेत्रों में बढ़ेगा.

सीआईआई के अनुसार, “मैन्युफैक्चरर्स का मौजूदा निवेश नरम बन हुआ है, जो कि कुल बजट का 10 प्रतिशत से भी कम है, लेकिन आने वाले दो वर्षों में टेक्नोलॉजी निवेश की बजट में हिस्सेदारी 11 से 15 प्रतिशत होगी.”

सीआईआई के मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस काउंसिल के चेयरमैन दीपक शेट्टी ने कहा, “भारत का मैन्युफैक्चरिंग परिदृश्य एक महत्वपूर्ण परिवर्तन से गुजर रहा है, जो नई टेक्नोलॉजी को तेजी से अपना रहा है.”

यह रिपोर्ट मैन्युफैक्चरिंग को नया रूप देने वाली टेक्नोलॉजी क्रांति की पड़ताल करती है और इस बात पर प्रकाश डालती है कि उत्पादकता और दक्षता को बढ़ाने के लिए स्मार्ट टेक्नोलॉजी कितनी आवश्यक हैं.

उन्होंने आगे कहा कि इन टेक्नोलॉजी को अपनाकर भारत वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त हासिल कर सकता है और खुद को मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अग्रणी के रूप में स्थापित कर सकता है.

रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे आईओटी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), रोबोटिक्स और ऑटोमेशन जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं. साथ ही अनुकूलन, इनोवेशन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दे रही हैं.

सेमीकंडक्टर, एयरोस्पेस और ऑटोमोटिव जैसे उच्च पूंजी वाले उद्योग इन टेक्लोनॉजी को अपनाने में अग्रणी हैं, जबकि कपड़ा और फूड प्रोसेसिंग जैसे पारंपरिक क्षेत्र धीरे-धीरे डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहे हैं.

इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में कौशल अंतर को पाटने और एडवांस टेक्नोलॉजी को निर्बाध रूप से अपनाने के लिए कार्यबल के कौशल विकास को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है.

एबीएस/