मुंबई, 20 मार्च . वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत बनी हुई है. इसकी वजह कृषि क्षेत्र का मजबूत प्रदर्शन और खपत में वृद्धि होना है. यह जानकारी आरबीआई के मासिक बुलेटिन में दी गई.
बुलेटिन में बताया गया कि बढ़ते व्यापार तनाव और टैरिफ के दायरे, समय और गहनता के चलते पैदा हुई अनिश्चितता से वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती की परीक्षा हो रही है. वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता दुनिया की विकास दर में धीमापन ला सकती है.
रिपोर्ट में बताया गया कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है. वहीं, खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण खुदरा महंगाई दर फरवरी 2025 में सात महीने के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इससे घरेलू अर्थव्यवस्था को सहारा मिल रहा है. हालांकि, बाहरी अस्थिरता के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का प्रवाह नकारात्मक बना हुआ है.
बुलेटिन में बताया गया कि निजी उपभोग व्यय में वृद्धि हो रही है, जो मजबूत उपभोक्ता विश्वास और निरंतर मांग का संकेत है. हाल के महीनों में सरकारी खर्च में मजबूत वृद्धि हुई है, जिससे विकास को और बढ़ावा मिला है.
रिपोर्ट के मुताबिक, कई हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स दिखाते हैं कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में तेजी बनी हुई है. वित्त वर्ष 2023-24 की संशोधित रियल जीडीपी विकास दर 9.2 प्रतिशत रही है, जो कि बीते एक दशक (कोरोना के बाद के वर्ष को छोड़कर) में सबसे तेज विकास दर है.
बुलेटिन के अनुसार, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में फरवरी 2025 में क्रय गतिविधि और रोजगार में वृद्धि देखी गई. सेवा क्षेत्र ने नए व्यवसायों और रोजगार में मजबूत विस्तार दर्ज किया.
विभिन्न क्षेत्रों में हाल के घटनाक्रम विकास की गति में वृद्धि की पुष्टि करते हैं. खरीफ सीजन 2024-25 में खाद्यान्न और तिलहन के उत्पादन अनुमानों में वृद्धि देखी गई है और रबी फसलों के खाद्यान्न में 2.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जो मुख्य रूप से जलाशय के अच्छे स्तर और सामान्य से अधिक वर्षा के कारण है.
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एबीएस/