नई दिल्ली, 30 अगस्त . सांख्यिकी मंत्रालय ने शुक्रवार को आंकड़े जारी कर बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 6.7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज की, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में यह 8.2 प्रतिशत थी.
युवा कार्यबल को गुणवत्तापूर्ण नौकरियां प्रदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र ने 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि निर्माण और बिजली क्षेत्रों ने तिमाही के दौरान दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज हुई है.
मंत्रालय ने बताया, “वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में समग्र वृद्धि द्वितीयक क्षेत्र (8.4 प्रतिशत) में महत्वपूर्ण वृद्धि से प्रेरित हुई है. इसमें निर्माण (10.5 प्रतिशत), बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएं (10.4 प्रतिशत) शामिल हैं.”
आंकड़ों के अनुसार, पहली तिमाही के दौरान निजी अंतिम उपभोग व्यय और सकल स्थिर पूंजी निर्माण में क्रमशः 7.4 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर देखी गई है.
अगस्त के लिए आरबीआई के मासिक बुलेटिन के अनुसार, बढ़ती आय के कारण ग्रामीण खपत में सुधार के साथ 2024-25 की पहली तिमाही में कुछ सुस्ती के बाद मांग में तेजी आ रही है. मांग में तेजी से निवेश में निजी क्षेत्र की अब तक कम भागीदारी में भी तेजी आने की उम्मीद है, जो आगे चलकर विकास को गति देगा. भारत के लिए यह अच्छी खबर तब आई है, जब भू-राजनीतिक तनाव, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में संभावित मंदी की आशंका और वित्तीय बाजार की अस्थिरता ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव डाला है.
वित्त मंत्रालय भविष्य को लेकर आशावादी है. उसने इस महीने अपनी मासिक समीक्षा में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने जुलाई में विभिन्न आर्थिक संकेतकों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है. इस महीने जीएसटी संग्रह में पर्याप्त वृद्धि हुई और समीक्षा में कहा गया है कि ई-वे बिल जेनरेशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो आर्थिक गतिविधियों में समग्र वृद्धि की ओर इशारा करती है. शेयर बाजार सूचकांक भी जुलाई में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए.
कुल मिलाकर, भारत की आर्थिक गति बरकरार है. सूचकांकों के अनुसार, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है. कर संग्रह – विशेष रूप से अप्रत्यक्ष कर तेजी से बढ़ रहा है और इसी तरह बैंक क्रेडिट भी बढ़ रहा है.
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एसएचके/