गया, 11 फरवरी . बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मंगलवार को कहा कि भारतीय सभ्यता लगभग 5000 वर्ष पुरानी है. महान भारतीय दार्शनिकों के विचारों के आधार पर कहा जा सकता है कि देश ने मानव जाति को देवत्व की अवधारणा दी है. वास्तव में, सदियों पुराने भारतीय दर्शन ने पश्चिमी देशों सहित दुनिया को प्रभावित किया है और यहां तक कि उन्होंने हमारे पुराने ग्रंथों का रूपांतरण कर गहन अध्ययन भी किया है.
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली के समर्थित दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद और सामाजिक नीति केंद्र द्वारा आयोजित ‘एकात्म मानववाद के सामाजिक पहलू’ पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए.
उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय अवधारणा हमें सभी संस्कृतियों और विविधताओं का सम्मान करना सिखाती है. विश्व में पांच प्रमुख सभ्यताएं ईरानी, चीनी, रोमन, तुर्क और भारतीय सभ्यताएं हैं, जो अपने-अपने महत्व के लिए जानी जाती हैं. भारतीय सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह ज्ञान और बुद्धि के प्रचार के लिए जानी जाती है, इसीलिए हमें अपने प्राचीन शास्त्रों में ‘मानवता’ का वास्तविक अर्थ खोजने की आवश्यकता है. इस अवधारणा का पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने पहली बार राजनीतिक क्षेत्र में प्रयोग किया था.
राज्यपाल ने अपने संबोधन में भगवद गीता, वेदों के श्लोकों और शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद और भारत के अन्य महान दार्शनिकों के कथनों को उद्धृत किया. उन्होंने अपने संबोधन के अंत में कहा कि हमारे संविधान निर्माता प्रस्तावना में इतने सारे बिंदुओं को रखने के बजाय ‘एकात्म मानववाद’ शब्द का प्रयोग कर सकते थे.
इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. राम माधव ने कहा कि भारत निःसंदेह एक महान देश है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर महान विचारकों को पैदा न करने के लिए हमारी आलोचना की जाती है. मेरे लिए पिछली सदी में देश ने दो महान मौलिक विचारकों को जन्म दिया, एक महात्मा गांधी और दूसरे पंडित दीनदयाल उपाध्याय. लेकिन, भारत में हम अपनी जड़ों की ओर ध्यान देने के बजाय पश्चिमी दर्शन से ज्यादा प्रभावित हैं, इसलिए दुनिया हमारी आलोचना करती है.
इससे पहले सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने अपने स्वागत भाषण में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के दर्शन से भारत विश्व गुरु बन सकता है और विकसित भारत 2047 का लक्ष्य हासिल कर सकता है.
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एमएनपी/एबीएम