नई दिल्ली, 1 जनवरी, . भारत साल 2025 में वैश्विक जैव-प्रौद्योगिकी क्रांति में अहम भूमिका निभाने जा रहा है. इसके लिए पहली बायो-ई3 नीति ने रास्ता खोल दिया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बुधवार को यह बात कही.
बायो-ई3 नीति भारत के जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई है. यह नीति देश की अर्थव्यवस्था, रोजगार और पर्यावरण को सुधारने में अहम भूमिका निभाएगी.
डॉ. सिंह ने दूरदर्शन न्यूज के साथ बातचीत में बताया कि भारत ने जैव-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बड़ी प्रगति की है और अब यह क्षेत्र वैश्विक स्तर पर भारत के नेतृत्व को मजबूत कर रहा है.
भारत का जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र 2014 में $10 बिलियन का था, जो 2024 में $130 बिलियन से अधिक हो गया है. उम्मीद है कि यह 2030 तक $300 बिलियन तक पहुंच जाएगा.
डॉ. सिंह ने कहा, “भारत केवल जैव-प्रौद्योगिकी में अग्रणी नहीं है, बल्कि अब यह वैश्विक जैव-क्रांति के केंद्र में है. यह नवाचार को बढ़ावा देगा, रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.”
उन्होंने यह भी कहा कि जैव-प्रौद्योगिकी भारत के भविष्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, खासकर जब देश नवाचार, तकनीकी समाधानों और स्टार्टअप्स को अपनाने पर जोर दे रहा है.
डॉ. सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच हमेशा नवाचार और तकनीकी प्रगति को प्राथमिकता देती रही है. इसी के चलते भारत आज जैव-प्रौद्योगिकी की वैश्विक शक्ति बन चुका है.
भारत वर्तमान में वैश्विक वैक्सीन उत्पादन का 60 प्रतिशत हिस्सा बनाता है और अमेरिका के बाहर सबसे ज्यादा यूएसएफडीए-प्रमाणित निर्माण संयंत्रों वाला देश है.
डॉ. सिंह ने भारत में चल रही “जैव-क्रांति” की तुलना पश्चिम की आईटी क्रांति से की. उन्होंने कहा कि देश के समृद्ध प्राकृतिक संसाधन और जैव-विविधता इसके जैव-प्रौद्योगिकी सफलता की कुंजी हैं.
उन्होंने भारतीय स्टार्टअप्स की भी तारीफ की, जो जैव-प्रौद्योगिकी का उपयोग करके गैर-मानव दूध और अन्य टिकाऊ उत्पादों जैसे अनोखे समाधान तैयार कर रहे हैं.
डॉ. सिंह ने “डीप सी मिशन” और “अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ)” जैसे प्रयासों की भी चर्चा की. एनआरएफ में 60 प्रतिशत योगदान निजी क्षेत्र से आएगा और यह नवाचार को और तेज करेगा.
2024 में, भारतीय सरकार ने जैव-प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पहले ही 1,000 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं.
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