भारत कभी परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा : विदेश मंत्री

बर्लिन, 23 मई . विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को जर्मनी में कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है और कभी परमाणु धमकी (न्यूक्लियर ब्लैकमेल) के आगे नहीं झुकेगा.

विदेश मंत्री ने दोहराया कि भारत, पाकिस्तान से केवल द्विपक्षीय तरीके से ही निपटेगा और इस मुद्दे पर किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि विदेश मंत्री का यह बयान बर्लिन में जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान आया. इस दौरान जर्मनी ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और उसके जवाब में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत के प्रति अपना पूरा समर्थन जताया.

जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है.

जयशंकर ने कहा, “मैं बर्लिन ऐसे समय में आया हूं, जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का जवाब दिया है. भारत आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करता. भारत कभी भी परमाणु धमकी के आगे नहीं झुकेगा और पाकिस्तान से केवल द्विपक्षीय तरीके से ही निपटेगा. इस विषय में किसी भी पक्ष को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. हमें यह भी सराहनीय लगा कि जर्मनी यह समझता है कि हर देश को आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने का अधिकार है.”

जर्मन विदेश मंत्री वेडफुल ने कहा, “हम सभी भारत में 22 अप्रैल को हुए क्रूर आतंकवादी हमले से स्तब्ध हैं. हम इस हमले की कड़ी निंदा करते हैं. हमारी गहरी संवेदना पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ है. भारत को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है. यह सराहनीय है कि वर्तमान में संघर्ष विराम लागू है और हमें उम्मीद है कि यह स्थिर रहेगा ताकि बातचीत द्वारा द्विपक्षीय समाधान खोजे जा सकें.”

दोनों मंत्रियों ने भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को और गहरा, सशक्त तथा घनिष्ठ बनाने पर चर्चा की. साथ ही, सहयोग के लिए भविष्य के संभावित क्षेत्रों की पहचान की.

इसके बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “अपने पड़ोस से लेकर वैश्विक मुद्दों तक पर विचारों का आदान-प्रदान किया. भारत में वेडफुल का स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं.”

उल्लेखनीय है कि जर्मनी विदेश मंत्री जयशंकर की तीन देशों की यात्रा का अंतिम चरण है, जिसकी शुरुआत 19 मई को नीदरलैंड्स से हुई थी. इसके बाद उन्होंने डेनमार्क की भी आधिकारिक यात्रा की. इस दौरान उन्होंने संबंधित देशों के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की.

डीएससी/एकेजे