भारत विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय निवेश संधि ढांचे में करेगा सुधार: सीईए नागेश्वरन

नई दिल्ली, 4 मार्च . भारत विदेशी निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ उसे संरक्षित करने के लिए अपने द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) ढांचे में सुधार करेगा, यह राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए उभरते वैश्विक निवेश परिदृश्य के अनुरूप होगा. यह बयान मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को दिया.

‘मेकिंग इंडिया इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली’ शीर्षक वाले पोस्ट-बजट सेमीनार में नागेश्वर ने कहा कि मौजूदा बीआईटी ढांचे में करीब एक दशक से कोई बदलाव नहीं किया गया है और इसे आज की चुनौतियों के अनुरूप बनाना होगा.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत द्वारा आखिरी बार अपने बीआईटी ढांचे की समीक्षा किए जाने के बाद से वैश्विक निवेश पारिस्थितिकी तंत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव के कारण यह अपेडट आवश्यक हो गया है.

नागेश्वरन ने आगे कहा, “नया मॉडल बीआईटी गतिशील वैश्विक निवेश वातावरण की मांगों के प्रति अधिक अनुकूल होगा.”

मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि नया बीआईटी मॉडल निवेशकों, विशेषकर भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में, के लिए सुरक्षा में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करेगा.

संशोधित ढांचा यह सुनिश्चित करेगा कि भारत विदेशी निवेश, विशेषकर मध्यम आकार के उद्यमों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना रहे.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने 2025-26 के बजट भाषण में इस मुद्दे पर कहा था कि मौजूदा बीआईटी ढांचे को और अधिक निवेशक-अनुकूल बनाने के लिए इसमें सुधार किया जाएगा.

वित्त मंत्री सीतारमण ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करते हुए भारत के संप्रभु अधिकारों और नियामक स्थान के बीच संतुलन बनाए रखने के महत्व पर बल दिया.

नागेश्वरन ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए प्रत्यक्ष और पोर्टफोलियो दोनों प्रकार के विदेशी निवेश महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर ऐसे समय में जब देश चालू खाता घाटे का सामना कर रहा है.

उन्होंने आगे कहा, “संशोधित बीआईटी मॉडल का उद्देश्य निवेशकों की चिंताओं को दूर करना, कानूनी सुरक्षा उपायों को बढ़ाना और देश को और भी अधिक आकर्षक निवेश केंद्र बनाकर भारत की दीर्घकालिक आर्थिक विकास रणनीति का समर्थन करना है.”

एबीएस/