नई दिल्ली, 6 जनवरी . अमेरिकन मल्टीनेशनल इंवेस्टमेंट बैंक और फाइनेंशियल सर्विस कंपनी ‘गोल्डमैन सैक्स’ ने अनुमान लगाया है कि भारत 2025 में अच्छा प्रदर्शन करने वाले उभरते बाजारों में से एक होगा. व्यापार की शर्तों में सुधार आधारित देश की मजबूत आर्थिक स्थिरता, प्रभावी मुद्रास्फीति का लक्ष्य और विश्वसनीय डॉमेस्टिक रिस्क कैपिटल जैसे कारकों की वजह से भारत अच्छा प्रदर्शन जारी रखेगा.
ग्लोबल इंवेस्टमेंट बैंक ने अगले 4-5 वर्षों में सालाना 18-20 प्रतिशत की आय वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो उभरते निजी पूंजीगत व्यय चक्र, कॉर्पोरेट बैलेंस शीट री-लीवरेजिंग की वजह से देखा जाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कारकों ने उभरते बाजारों में भारत के बीटा को लगभग 0.4 तक कम कर दिया है, जो इसके प्रीमियम वैल्यूएशन गुणकों को सही ठहराता है.
इसके निवेश आय अनुमान आम सहमति से आगे बने हुए हैं और वे वैश्विक बाजारों के साथ भारतीय इक्विटी के घटते संबंध को उजागर करते हैं.
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका और चीन में नीतिगत कार्रवाइयों के साथ-साथ भू-राजनीतिक घटनाक्रम जैसे वैश्विक कारक भारतीय बाजारों को प्रभावित करना जारी रखेंगे.
गोल्डमैन को उम्मीद है कि मैक्रो स्थिरता को राजकोषीय कंसोलिडेशन, निजी निवेश में वृद्धि और सकारात्मक वास्तविक विकास-वास्तविक दरों के अंतर के जरिए और मजबूत किया जाएगा.
सेंसेक्स की आय वित्त वर्ष 2027 तक सालाना 17.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो आम सहमति से 15 प्रतिशत अधिक है.
पोर्टफोलियो रणनीति के संदर्भ में, गोल्डमैन डिफेंसिव के बजाय साइक्लिकल और लार्ज कैप के बजाय एसएमआईडी कैप को फेवर करता है.
गोल्डमैन सैक्स रिसर्च ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि उसे उम्मीद है कि आने वाले वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक झटकों से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहेगी, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप के नए प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ भी शामिल हैं.
भारत का सकल घरेलू उत्पाद लंबी अवधि में मजबूती से बढ़ता रहेगा. लेकिन, पूर्वानुमान के अनुसार अगले साल सरकारी खर्च और ऋण वृद्धि धीमी होने के कारण इसमें गतिरोध आएगा.
गोल्डमैन सैक्स रिसर्च के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता ने अपनी टीम की रिपोर्ट में लिखा है, “भारत के लिए संरचनात्मक दीर्घकालिक विकास की कहानी अनुकूल जनसांख्यिकी और स्थिर शासन द्वारा संचालित बनी हुई है.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारे अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2025 और 2030 के बीच औसतन 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी.
गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि भारत में हेडलाइन मुद्रास्फीति 2025 कैलेंडर वर्ष में सालाना आधार पर औसतन 4.2 प्रतिशत होगी, जिसमें खाद्य मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत होगी, जो कि हमारे विश्लेषकों के 2024 के लिए 7 प्रतिशत से अधिक के अनुमान से काफी कम है.
रिपोर्ट में कहा गया है, “मौसम से जुड़ी बाधाओं के कारण फूड सप्लाई को लेकर परेशानी आ सकती है, जो इस पूर्वानुमान के लिए मुख्य जोखिम बना हुआ है. अब तक, मौसमी व्यवधानों के कारण सब्जियों की कीमतों से जुड़ी उच्च और अस्थिर खाद्य मुद्रास्फीति ने आरबीआई को मौद्रिक नीति को आसान बनाने से रोक रखा है.”
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एसकेटी/एबीएम