राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भारत ने ही पहली बार चीनी ऐप टिक-टॉक पर लगाया था बैन

नई दिल्ली, 14 मार्च . अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने टिक-टॉक पर प्रतिबंध लगाने के मकसद से कानून पारित किया है. इसके बाद अमेरिका में टिक-टॉक को प्रतिबंधित किए जाने का रास्ता साफ हो गया है. इस ऐप को अमेरिका में 170 मिलियन लोग यूज करते हैं. इससे पहले भारत सरकार ने भी इस ऐप को बैन किया था.

चीनी कंपनी बाइटडांस इस ऐप को नियंत्रित करता है. इसे 29 जून 2020 को भारत में बैन किया गया था.

तब चीन के बाहर भी इस कंपनी का सोशल मीडिया पर बड़ा बाजार था.

भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर टिक-टॉक सहित 59 ऐप पर बैन लगा दिया था. तब से भारत में 300 से भी अधिक चीनी ऐप प्रतिबंधित किए जा चुके हैं, जिसमें वीचैट, शेयरइट, हेलो, लाइकी शामिल हैं. सरकार ने बीते दिनों कई लोन ऐप पर भी बैन लगाया, जिनका सीधा संबंध चीन से था.

इन सभी ऐप को आईटी एक्ट की धारा 69 के उल्लंघन का दोषी पाए जाने के बाद प्रतिबंधित किया गया था.

बैन लगने के बाद टिक टॉक ने अपने सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था. टिक टॉक ने करीब अपने 40 कर्मचारियों को बर्खास्त किया था.

2020 में इंडियन आर्मी ने भी अपने कर्मचारियों को अपने मोबाइल से सभी 89 ऐप हटाने को कहा था, जिसमें कई चीनी ऐप भी शामिल थे.

चीन की सरकार से संबंध होने की वजह से टिक टॉक को राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर खतरे के रूप में देखा गया था, जिसे ध्यान में रखते हुए इस पर बैन लगाने का फैसला किया गया. सासंदों और अधिकारियों ने इस बात को लेकर आशंका जताई थी कि बीजिंग इस ऐप के जरिए भारतीयों की सूचना में सेंध मार सकती है.

टिकटॉक ने तर्क दिया है कि अमेरिकियों का डेटा अमेरिका में ही संग्रहीत किया जाता है.

बीते वर्ष नेपाल ने भी टिक टॉक पर यह कहकर बैन लगा दिया कि इसमे मौजूदा सामग्री सामाजिक सद्भाव के लिए हानिकारक है.

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