नई दिल्ली, 14 जून . संयुक्त राष्ट्र में गाजा युद्धविराम प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. पार्टी ने कहा कि 12 जून को संयुक्त राष्ट्र में भारत का मतदान से दूरी बनाना एक चौंकाने वाली नैतिक कायरता है.
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “कभी भारत ने फिलिस्तीन के लिए मजबूती से खड़े होकर इतिहास रचा था. भारत 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) को मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब देश बना. 1983 में नई दिल्ली में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) शिखर सम्मेलन में यासिर अराफात को आमंत्रित किया और 1988 में औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को मान्यता दी. न्याय के लिए रणनीतिक तौर पर नहीं, बल्कि सैद्धांतिक तौर पर खड़ा होना चुना. लेकिन आज वह गौरवशाली विरासत मलबे में तब्दील हो चुकी है.”
पवन खेड़ा ने लिखा, “दिसंबर 2024 में गाजा में स्थायी युद्धविराम के पक्ष में भारत के मतदान से भी ज्यादा कायरतापूर्ण पलटी इस मतदान से दूर रहना है. यह साबित करता है कि सरकार को न तो कुछ याद है, न ही किसी चीज के लिए खड़ी होती है. सिर्फ फोटो खिंचवाने के पीछे भागती है, चाहे उसमें खून से सने हाथ मिलाने पड़ें.”
उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, “एक ऐसी सरकार जो गाजा में बच्चों के जलाए जाने के बावजूद युद्धविराम के लिए वोट देने से डरती है, वह भारत या दुनिया को नैतिक दिशा और नेतृत्व देने के लायक नहीं है.”
कांग्रेस प्रवक्ता ने लंबे चौड़े पोस्ट के आखिर में लिखा, “अगर हम चाहते हैं कि वैश्विक मंच पर हमारी आवाज मायने रखे तो हमें सबसे जरूरी वक्त पर बोलने का साहस दिखाना होगा. हमारी ताकत हमेशा हमारी आवाज के नैतिक वजन से आई है. दुनिया सबसे ऊंची आवाज में बोलने वाले देश को नहीं सुनती. वह उस देश की सुनती है जो स्पष्टता, साहस और अंतरात्मा के साथ बोलता है. भारत को कभी भी अपनी वह आवाज नहीं खोनी चाहिए.”
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डीसीएच/एकेजे