भारत में पिछले 5 वर्षों में फ्लेक्सिबल हेल्थ इंश्योरेंस में 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज: रिपोर्ट

नई दिल्ली, 11 मार्च . भारत में पिछले पांच वर्षों में फ्लेक्सिबल हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. मंगलवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.

मर्सर मार्श बेनिफिट्स (एमएमबी) की रिपोर्ट से पता चला है कि देश में वर्कफोर्स बढ़ने के बावजूद, कंपनियां कर्मचारियों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए लाभों को दोबारा खोज रही हैं.

वैधानिक प्रावधानों से परे, कंपनियां फ्लेक्सिबल हेल्थ इंश्योरेंस प्लान जैसे इनोवेटिव सॉल्यूशन पेश कर रही हैं.

इंक्लूसिव कवरेज ऑप्शन पैरेंट्स कवर, भाई-बहन कवर और वेलनेस प्रोग्राम और फाइनेंशियल प्लानिंग टूल पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ये दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में टॉप टैलेंट को आकर्षित करने और बनाए रखने में भी मदद करते हैं.

मर्सर मार्श बेनिफिट्स इंडिया लीडर के प्रबंध निदेशक प्रवाल कलिता ने कहा, “भारत में कर्मचारी लाभ अब केवल हेल्थकेयर कवरेज तक सीमित नहीं रह गए हैं, वे समग्र कल्याण समाधानों में विकसित हो रहे हैं. फ्लेक्सिबल, इंक्लूसिव, फ्यूचर-रेडी बेनेफिट्स की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है.”

उन्होंने आगे कहा, “पिछले पांच वर्षों में फ्लेक्सिबल हेल्थ इंश्योरेंस को अपनाने में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. नियोक्ता अपने कर्मचारियों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए माता-पिता के बीमा से लेकर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों तक की पेशकश के महत्व को पहचान रहे हैं.”

रिपोर्ट में भारत के कर्मचारी लाभ परिदृश्य में परिवर्तनकारी बदलावों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें माता-पिता के बीमा के लिए नियोक्ता स्पॉन्सरशिप शामिल है, जो 2019 में 35 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 53 प्रतिशत हो गया है.

संगठन और बीमाकर्ता कैशलेस अस्पताल में कैशलेस भर्ती को भी बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे पेआउट रेशियो में वृद्धि हुई है और अस्पताल में रहने का औसत समय 5.9 से घटकर 5.3 दिन रह गया है.

इसके अलावा, कर्मचारियों की जरूरतों को समझते हुए नियोक्ता तेजी से कवरेज का विस्तार कर रहे हैं, जिसमें फर्टिलिटी ट्रीटमेंट, सरोगेसी और गोद लेने के लाभ शामिल हैं.

कर्मचारी लाभ चुनने में अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं, जिससे कस्टमाइजेबल इंश्योरेंस कल्याण कार्यक्रमों को अपनाने में वृद्धि हो रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि संगठन लॉन्ग टर्म मेडिकल खर्च को कम करने के लिए प्रारंभिक निदान, स्क्रीनिंग और कल्याण कार्यक्रमों सहित प्रिवेंटिव हेल्थकेयर मेजर्स जैसे उपायों को प्राथमिकता दे रहे हैं.

एसकेटी/एबीएम