भारत अपनी नेशनल मिलिट्री स्पेस पॉलिसी कर रहा तैयार

नई दिल्ली, 7 अप्रैल . भारत एक नेशनल मिलिट्री स्पेस पॉलिसी बना रहा है. इसमें स्पष्ट हो सकेगा कि भारतीय सेनाओं के साथ-साथ इसरो व देश की अन्य स्पेस एजेंसियां राष्ट्रीय सुरक्षा में कैसे अहम योगदान दे सकती हैं. भारत की यह मिलिट्री स्पेस पॉलिसी अगले करीब तीन महीने में तैयार हो जाएगी.

सोमवार को भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने इसका जिक्र किया. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत अपनी नेशनल मिलिट्री स्पेस पॉलिसी जारी करेगा. इसके साथ ही भारत की सेना के तीनों अंग यानी आर्मी, एयरफोर्स और नौसेना भी अपनी साझा स्पेस डॉक्ट्रिन अगले कुछ महीनों में रिलीज करने जा रहे हैं.

उन्होंने स्पेस वारफेयर से जुड़ी ये अहम जानकारी ‘डेफस्पेस’ वार्षिक कार्यक्रम के अवसर पर साझा की. यहां भविष्य के युद्धों का भी जिक्र किया गया.

गौरतलब है कि विभिन्न अवसरों पर रक्षा विशेषज्ञ बोल चुके हैं कि भविष्य के युद्ध स्पेस से जुड़े होंगे. भविष्य में युद्धों की तकनीक एक नए आयाम तक पहुंचने वाली है. पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ दुश्मन के सैटेलाइट कम्युनिकेशन को जाम कर देना, वहीं, सैटेलाइट को मिसाइल के जरिए मार गिराना, ये वे तकनीक हैं, जिनको देखकर कहा जा सकता है कि भविष्य के युद्ध अंतरिक्ष में लड़े जा सकते हैं. यही वजह है कि भारत ने भी इस दिशा में अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं.

इसके मद्देनजर भारत ने अपनी एंटी-सैटेलाइट (ए-सैट) मिसाइल भी तैयार की है. यही नहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के अधीन डिफेंस स्पेस एजेंसी (डीएसए) का गठन भी किया जा चुका है. हालांकि, असल युद्ध में किस एजेंसी की क्या भूमिका होगी, इस पर विस्तृत चर्चा बाकी है.

यही कारण है कि अब मिलिट्री स्पेस डॉक्ट्रिन बनाने का काम तेजी और समन्वय के साथ किया जा रहा है. यह काम पूरा होने के उपरांत वायुसेना से लेकर अन्य एजेंसियों का चार्टर इस दिशा में स्पष्ट हो जाएगा.

सोमवार को अपने संबोधन में सीडीएस जनरल चौहान ने डिफेंस स्पेस एजेंसी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय स्पेस एक्सरसाइज का जिक्र भी किया. यह महत्वपूर्ण आयोजन बीते वर्ष नवंबर में किया गया था. अंतरिक्ष-अभियान एक टेबल-टॉप स्पेस एक्सरसाइज था. इसमें स्पेस वॉरफेयर और भारतीय सैटेलाइट को सुरक्षित रखने पर खासा जोर दिया गया था. इस एक्सरसाइज में डिफेंस स्पेस एजेंसी के साथ सेना के तीनों अंगों ने संयुक्त रूप से जो सामरिक तैयारी की, उसे भी परखा गया था.

स्पेस वारफेयर के लिए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के साथ-साथ भारतीय सेनाएं विभिन्न स्टार्टअप्स की भी मदद ले रही हैं.

जीसीबी/एबीएम