नई दिल्ली, 25 अक्टूबर . भारत को 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए कार्यबल में 14.5 करोड़ महिलाओं को जोड़कर लिंग अंतर कम करना होगा. एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
शिक्षा और कौशल क्षेत्र में काम करने वाली मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन ने बेन एंड कंपनी की साझेदारी के साथ बनाई एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को महिला श्रम बल भागीदारी दर (एफएलएफपीआर) को मौजूदा 35-40 प्रतिशत से बढ़ाकर 2047 तक 70 प्रतिशत करना होगा.
सकारात्मक डेमोग्राफिक डिविडेंड और नीतियों से समर्थन मिलने के बाद भी अनुमान है कि 2047 तक भारत के कार्यबल में 11 करोड़ से अधिक महिलाएं ही शामिल हो पाएंगी और इस दौरान महिला श्रम बल भागीदारी दर बढ़कर 45 प्रतिशत यानी 25.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी.
मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के ग्लोबल सीईओ जयंत रस्तोगी ने कहा कि महिलाओं को सशक्त बनाना हमारा नैतिक कर्तव्य है. 2047 तक हमारा लक्ष्य 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है. इसके लिए हमें महिला श्रम बल भागीदारी दर को बढ़ाकर 70 प्रतिशत करना होगा. इसका मतलब यह है कि कार्यबल में महिला भागीदारी को बढ़ाकर 40 करोड़ करना होगा.
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि करीब 2047 तक कार्यबल से बाहर 70 प्रतिशत महिलाओं के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने की उम्मीद है, जहां सीमित नौकरी के अवसर और अस्थिर कार्य वातावरण कार्यबल की भागीदारी को कम करते हैं.
दूसरी ओर शहरी महिलाओं को नौकरी-कौशल में अंतर, बाजार की नौकरियों की तुलना में घरेलू काम का कम मूल्यांकन और वेतन असमानता जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
रिपोर्ट में कार्यबल में महिलाओं के एकीकरण का समर्थन करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे, नीतियों, निजी क्षेत्र, गैर-लाभकारी संस्थाओं और निवेशकों से एकजुट और सामूहिक प्रयास का आह्वान किया गया.
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एबीएस/