New Delhi, 4 सितंबर . भारत ने 2025 में अब तक 30 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है और इस साल अंत तक यह 43 गीगावाट तक बढ़ने का अनुमान है. यह जानकारी केंद्रीय न्यू एवं रिन्यूएबल एनर्जी मंत्री प्रल्हाद जोशी की ओर से दी गई.
एक कार्यक्रम में बोलते हुए जोशी ने बताया कि देश में जनवरी से जून के बीच लगभग 22 गीगावाट सौर और पवन ऊर्जा स्थापित की गई और अब यह आंकड़ा बढ़कर लगभग 30 गीगावाट हो गया है.
उन्होंने कहा, “हम इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक 39 गीगावाट से 43 गीगावाट की नई क्षमता हासिल करने के प्रति आशावादी हैं.”
सरकार को उम्मीद है कि इस विकास दर के साथ वह 2030 तक 500 गीगावाट स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के अपने दीर्घकालिक लक्ष्य को प्राप्त कर लेगी. भारत में वर्तमान में 226 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता है.
Union Minister ने बताया कि 67.08 गीगावाट की परियोजनाओं के लिए टेंडर्स आमंत्रित की जा चुकी हैं और कुल 186.3 गीगावाट की परियोजनाएं वर्तमान में क्रियान्वित की जा रही हैं.
उन्होंने कहा, “पहले से चालू क्षमता को मिलाकर, यह क्षमता लगभग 499 गीगावाट हो जाती है.”
सरकार बिजली बिक्री समझौतों (पीएसए) पर हस्ताक्षर करने में हो रही देरी से निपट रही है और इस क्षेत्र को और मजबूत बनाने के लिए दक्षता बढ़ाने हेतु मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों को बेहतर बना रही है.
जोशी ने आगे कहा कि ऊर्जा मंत्रालय ने 2030 तक 500 गीगावाट क्षमता के एकीकरण को सुगम बनाने के लिए एक बड़ी ट्रांसमिशन योजना बनाई है, जिसमें रिन्यूएबल एनर्जी वाले राज्यों पर विशेष जोर दिया गया है.
एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के बिजली क्षेत्र में जुलाई में मजबूत नीतिगत प्रोत्साहनों के कारण क्षमता में वृद्धि देखी गई, जिससे 2 गीगावाट पारंपरिक और 3.2 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता में वृद्धि हुई.
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 26 में 11.7 गीगावाट ताप विद्युत, 3.8 गीगावाट जल विद्युत और 36 गीगावाट सौर ऊर्जा को सर्विस में लगाया जाएगा. कुल बिजली की मांग अगस्त में सालाना आधार पर 4.4 प्रतिशत और जुलाई से 2 प्रतिशत बढ़ी है.
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एबीएस/