नई दिल्ली, 22 जुलाई . आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 में कहा गया कि नवीकरणीय ऊर्जा जैसी ग्रीनफील्ड परियोजनाओं, दूरसंचार, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर जैसी डिजिटल सेवाओं और परामर्श सेवाओं जैसे क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के लिए भारत के पास एक बेहतर बुनियादी ढांचा है.
मध्यम अवधि में, भारत पश्चिम के साथ अपने वैल्यू चेन को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, खासकर नवीकरणीय ऊर्जा, एआई, सेमीकंडक्टर और अगली पीढ़ी के दूरसंचार सहित उन्नत प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस रणनीति को ऑस्ट्रेलिया-भारत मुक्त व्यापार समझौते और यूएस-भारत स्वच्छ ऊर्जा पहल जैसे समझौतों के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है.
सर्वेक्षण के अनुसार, ”इसी का नतीजा है, इन क्षेत्रों के भीतर ट्रेंडिंग पैटर्न विकसित होने लगे हैं. उदाहरण के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी जैसे सौर वॉटर हीटर, अपशिष्ट रीसाइक्लिंग उपकरण और पवन टर्बाइन का निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ वित्त वर्ष 2020 में 199.2 मिलियन डॉलर के मुकाबले बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 326.9 मिलियन डॉलर हो गया है.”
इसके अलावा, अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में अग्रणी अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियों, जैसे फर्स्ट सोलर, वेस्टा और स्कैंटेक ने ग्रीन टेक्नोलॉजी की बढ़ती मांग का लाभ उठाने के लिए भारत में अपने संयंत्र स्थापित किए हैं.
भारत दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं के निर्यात में दुनिया में दूसरे स्थान पर, पर्सनल, कल्चरल और मनोरंजक सेवाओं के निर्यात में छठे, अन्य व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात में आठवें, परिवहन सेवाओं के निर्यात में 10वें और यात्रा सेवाओं के निर्यात में 14वें स्थान पर है.
भारत के ‘आत्मनिर्भर’ बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन :-
भारत ने 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए (पीएलआई) योजनाओं की घोषणा की, जिसके जरिए विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की योजना राशि जारी की गई.
मई 2024 तक देश में 1.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश दर्ज किया गया, जिससे 10.8 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन/बिक्री हुई और 8.5 लाख से अधिक रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) रूप से पैदा हुए.
बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य प्रसंस्करण और दूरसंचार के साथ नेटवर्किंग जैसे क्षेत्रों के महत्वपूर्ण योगदान से निर्यात में 4 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि दूरसंचार भारत में डिजिटल सेवाओं की तीव्र गति से वृद्धि का गेट-वे है.
भारत में कुल टेली घनत्व (प्रति 100 जनसंख्या पर टेलीफोन की संख्या) मार्च 2014 में 75.2 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 85.7 प्रतिशत हो गया.
मार्च 2024 के अंत में वायरलेस टेलीफोन कनेक्शनों की संख्या 116.5 करोड़ थी.
वर्तमान में, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते 5जी नेटवर्क में से एक है.
भारत 6जी एलायंस को पिछले साल जुलाई में सार्वजनिक और निजी कंपनियों, शिक्षाविदों, अनुसंधान संस्थानों और स्टैंडर्ड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के सहयोग से लॉन्च किया गया था, ताकि भारत को आईपी, उत्पादों और किफायती 5जी, 6जी और भविष्य के अन्य दूरसंचार समाधानों के मामले में अग्रणी वैश्विक आपूर्तिकर्ता बनने में सक्षम बनाया जा सके.
जून 2024 तक देश में मोबाइल टावरों की कुल संख्या 8.02 लाख थी, जबकि बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (बीटीएस) की संख्या 29.37 लाख और 5जी बीटीएस की संख्या 4.5 लाख थी.
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