‘भारत-चिली सीईपीए’ मजबूत ग्लोबल वैल्यू चेन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा

नई दिल्ली, 31 मई . केंद्र सरकार ने कहा कि भारत-चिली व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) दोनों देशों के बीच गहन आर्थिक भागीदारी और मजबूत ग्लोबल वैल्यू चेन के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करेगा.

सीईपीए का उद्देश्य भारत और चिली के बीच व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों की क्षमता को बढ़ाना है. साथ ही, रोजगार, द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.

वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष सफल और सार्थक समझौता सुनिश्चित करने के लिए लाभकारी और खोजपूर्ण दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध हैं.

भारत और चिली के बीच उच्च स्तरीय वार्ता के दौरान की गई प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए सीईपीए पर बातचीत के लिए संदर्भ की शर्तों पर इस महीने की शुरुआत में हस्ताक्षर किए गए थे.

26 मई को वार्ता का पहला दौर शुरू हुआ, जिसका उद्घाटन वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने भारत में चिली के राजदूत जुआन अंगुलो की उपस्थिति में किया.

वार्ता का अगला दौर जुलाई या अगस्त में होने की उम्मीद है और आगामी बैठक से पहले लंबित मुद्दों को संबोधित करने के लिए वर्चुअल कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अंतर-सत्रीय चर्चाएं की जाएंगी.

अप्रैल में चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक की भारत की राजकीय यात्रा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बैठक के दौरान दोनों देशों ने सीईपीए वार्ता की शुरुआत का स्वागत किया था.

चिली के राष्ट्रपति ने बताया कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में चिली के लिए एक प्राथमिकता वाला भागीदार है और उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.

दोनों नेताओं ने गहन आर्थिक एकीकरण को प्राप्त करने के उद्देश्य से एक संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभकारी सीईपीए की दिशा में वार्ता की शुरुआत का स्वागत किया.

चिली की वार्ता टीम में 17 प्रतिनिधि थे और भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य विभाग के संयुक्त सचिव, मुख्य वार्ताकार विमल आनंद ने किया.

इस अवसर पर 17 विषयों पर चर्चा की गई, जिनमें वस्तुओं-सेवाओं का व्यापार, व्यक्तियों की आवाजाही, उत्पत्ति के नियम, स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और व्यापार सुविधा, प्रारंभिक प्रावधान और सामान्य परिभाषाएं, मुख्य और संस्थागत प्रावधान, अंतिम प्रावधान, पारदर्शिता, विवाद निपटान, आर्थिक सहयोग, एमएसएमई और महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण, महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज व्यापार और सस्टेनेबल डेवलपमेंट, ग्लोबल वैल्यू चेन, इंवेस्टमेंट प्रमोशन- सहयोग और बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल हैं.

एसकेटी/एबीएम