संयुक्त राष्ट्र, 4 अक्टूबर . भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन में कानूनी अधिकारी आर. मैथिली ने गुरुवार को कहा कि, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के चेहरे ओसामा बिन लादेन का महिमामंडन करने वाला पाकिस्तान यह दावा नहीं कर सकता कि वह आतंकवाद का शिकार है. उसे अपने कारनामों के परिणाम भुगतने का जोखिम उठाना पड़ सकता है.
उन्होंने महासभा की छठी समिति में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को समाप्त करने के उपाय पर एक सत्र के दौरान भारत पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हमले का जवाब देते हुए कहा, “हमें यह तथ्य नहीं भूलना चाहिए कि वैश्विक आतंकवाद का चेहरा ओसामा बिन लादेन इसी देश में पाया गया था.”
यह समिति कानूनी मामलों से संबंधित है.
उन्होंने कहा, “इस देश के नेतृत्व ने संसद में उसे शहीद के रूप में महिमामंडित किया. यह विडंबना है कि इस देश का दावा है कि वह आतंकवाद का शिकार है. यह वह देश है जो आतंकवादियों को इस उम्मीद में पालता-पोसता है कि वह केवल अपने पड़ोसियों को नुकसान पहुंचाएंगे.”
इससे पहले समिति के सामने भारत की तरफ से बयान देते हुए पाकिस्तान का बिना नाम लिए मैथिली ने कहा कि मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड “पूरे राजकीय आतिथ्य के साथ बेधड़क घूमते रहे.”
यह बयान 2008 के मुंबई हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के नेता हाफिज मोहम्मद सईद को शरण देने के लिए इस्लामाबाद पर कटाक्ष था.
मैथिली ने कहा, “अपने नापाक एजेंडे से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान हटाने के लिए, ऐसे देश खुद को आतंकवाद का शिकार बताने की कोशिश करते हैं.”
उन्होंने कहा, “लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन और उनके सहयोगी तथा प्रतिनिधि भारतीय धरती पर आतंकवादी हमले कर रहे हैं.”
पाकिस्तान को दिए अपने जवाब में मैथिली ने कहा, “अपने शातिर एजेंडे के तहत आतंक की निंदा का उनका ढोंग कभी सफल नहीं हो सकता.”
चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, “इन कार्रवाईयों के निश्चित रूप से परिणाम होंगे.”
उन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित हमलों को विचित्र, तुच्छ और राजनीति से प्रेरित बताया.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भारत विरोधी टिप्पणियां “केवल अवमानना के योग्य हैं.”
जहां तक कश्मीर पर इस्लामाबाद के दावों का सवाल है, उन्होंने इसे इच्छाधारी सोच कहकर खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, ”जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न और अविभाज्य हिस्से थे, हैं और हमेशा रहेंगे, चाहे प्रतिनिधि पाकिस्तान कुछ भी मानता हो.”
मैथिली ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हममें से कुछ लोग अपने संकीर्ण राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित होकर आतंकवाद को उचित ठहराने के लिए कारणों की तलाश करते हैं.”
हालांकि उन्होंने आतंकवाद को समर्थन देने वालों में पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन निशाना साफ था.
उन्होंने कहा, “इन देशों की वजह से आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का वैश्विक संकल्प कमजोर पड़ रहा है. ऐसे देशों की वजह से ही मुंबई आतंकी हमलों के 15 साल बाद भी मास्टरमाइंड पूरी सरकारी मेहमाननवाजी के साथ खुलेआम घूम रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “ऐसे राज्य न केवल आतंकवाद को उचित ठहराते हैं, बल्कि उनकी सरकारों और उनकी एजेंसियों ने आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति बना लिया है.”
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एकेएस/जीकेटी