नई दिल्ली, 1 दिसंबर . भारतीय और कंबोडियाई सेना के बीच महत्वपूर्ण अभ्यास ‘सिनबैक्स’ प्रारंभ किया गया है. दोनों देशों के बीच यह पहला ‘सिनबैक्स’ सैन्य अभ्यास है. अभ्यास में आतंकवाद विरोधी अभियान की योजना बनाना, सूचना, साइबर युद्ध व हाइब्रिड युद्ध आदि पर चर्चा की जाएगी. इस अभ्यास में भारतीय हथियारों और उपकरणों का प्रदर्शन भी किया जाएगा. इससे रक्षा उत्पादन में ‘आत्मनिर्भरता’ और स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा.
भारत और कंबोडिया के बीच यह पहला संस्करण रविवार को विदेशी प्रशिक्षण नोड, पुणे में शुरू हुआ. यह अभ्यास 1 से 8 दिसंबर तक किया जाएगा. भारत आई कंबोडियाई सेना की टुकड़ी में कुल 20 सैनिक शामिल हैं. इस अभ्यास का हिस्सा बनने वाली भारतीय सेना की टुकड़ी में भी एक इन्फेंट्री ब्रिगेड के 20 सैनिक शामिल किए गए हैं.
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ‘सिनबैक्स’ एक योजना अभ्यास है. इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय 7 के तहत संयुक्त आतंकवाद रोधी (काउंटर टेररिज्म) अभियानों का युद्ध अभ्यास करना है.
अभ्यास में आतंकवाद विरोधी वातावरण में संचालन की योजना के अलावा खुफिया निगरानी और टोही के लिए संयुक्त प्रशिक्षण कार्य बल की स्थापना से संबंधित चर्चाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
दोनों सेनाओं द्वारा विभिन्न आकस्मिकताओं पर युद्ध अभ्यास किया जाएगा. इस अभ्यास के दौरान उप-पारंपरिक अभियानों में बल की संख्या बढ़ाने पर भी चर्चा की जाएगी.
अभ्यास में सूचना संचालन, साइबर युद्ध, हाइब्रिड युद्ध, रसद और हताहत प्रबंधन, एचएडीआर संचालन आदि पर भी चर्चा की जाएगी.
अभ्यास तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा. पहला चरण संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के दौरान काउंटर टेररिज्म संचालन के लिए प्रतिभागियों की तैयारी और उन्मुखीकरण के बारे में होगा.
दूसरे चरण में टेबल टॉप अभ्यासों का संचालन शामिल होगा. तीसरे व अंतिम चरण में योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसमें सारांश बनाना शामिल होगा. इससे विषय-आधारित प्रशिक्षण के व्यावहारिक पहलुओं के बारे में जानकारी प्राप्त होगी.
इस अभ्यास में शामिल हुए प्रतिभागी स्थिति-आधारित चर्चाओं और सामरिक अभ्यासों के माध्यम से प्रक्रियाओं को समझ पाएंगे. अभ्यास ‘सिनबैक्स’ का पहला संस्करण दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच विश्वास, सौहार्द बढ़ाने और अंतर-संचालन के वांछित स्तर को प्राप्त करने पर केंद्रित होगा. यह शांति स्थापना अभियानों के दोनों सेनाओं की संयुक्त परिचालन दक्षता को भी बढ़ाएगा.
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जीसीबी/एबीएम