भारत, भूटान ने ‘असाधारण’ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने का संकल्प दोहराया

नई दिल्ली, 16 मार्च . भारत और भूटान ने स्टेम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और मैथ), स्टार्टअप, व्यापार और बुनियादी ढाँचे सहित कई क्षेत्रों में अपने सहयोग को और मजबूत करने के अपने संकल्प की पुष्टि की.

प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे की 14 मार्च से शुरू हुई नई दिल्ली यात्रा के बारे में शनिवार को जारी एक संयुक्त बयान में भारत ने कहा कि वह उच्च आय वाला राष्ट्र बनने की अपनी खोज में भूटान के साथ साझेदारी करने के लिए प्रतिबद्ध है.

जनवरी में पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर आये प्रधानमंत्री टोबगे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय सहयोग तथा आपसी हित के क्षेत्रीय मुद्दों के पूर्ण स्पेक्ट्रम पर चर्चा की.

बयान में कहा गया, “दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे और असाधारण द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के अपने संकल्प की पुष्टि की.”

पीएम टोबगे ने भूटान की 12वीं पंचवर्षीय योजना (एफवाईपी) के लिए पाँच हजार करोड़ रुपये की विकास सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि भारत ने उनके देश के लोगों की सामाजिक-आर्थिक भलाई में बहुत योगदान दिया है.

कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भूटान की शाही सरकार की 2018-2023 की 12वीं पंचवर्षीय योजना को सफलतापूर्वक लागू किया गया. हिमालयी साम्राज्य के दिसंबर 2023 में अल्प विकसित देशों की श्रेणी से बाहर निकलने पर बधाई देते हुए पीएम मोदी ने आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम के अनुरोध सहित भूटान की 13वीं पंचवर्षीय योजना के लिए समर्थन बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई.

भूटान को भारत की विकास सहायता सड़क, रेल, वायु और डिजिटल कनेक्टिविटी तथा कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, कौशल और सांस्कृतिक संरक्षण जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होगी.

दोनों नेताओं ने जलविद्युत सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और अपने अधिकारियों को नई परियोजनाओं के कार्यान्वयन के तौर-तरीकों पर शीघ्र विचार-विमर्श करने का निर्देश दिया.

उन्होंने 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना के निर्माण में प्रगति पर भी संतोष व्यक्त किया और 2024 में इसके चालू होने की उम्मीद जताई.

मौजूदा भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी को सौर और पवन जैसे गैर-हाइड्रो नवीकरणीय ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा दक्षता तथा संरक्षण उपायों के अलावा हाइड्रोजन और ई-मोबिलिटी के लिए हरित पहल तक विस्तारित करने पर भी सहमति हुई.

दोनों देशों ने हाल ही में युवाओं के कौशल और नेतृत्व विकास के लिए भूटान के राष्ट्रीय सेवा कार्यक्रम ग्यालसुंग के लिए पड़ोसी देश को 1,500 करोड़ रुपये की रियायती वित्तपोषण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.

दोनों पक्ष युवा और खेल विकास के क्षेत्र में संबंधों को मजबूत करने और समेकित करने पर सहमत हुए और भूटान में स्टेम शिक्षाशास्त्र को मजबूत करने में भारतीय शिक्षकों के योगदान पर ध्यान दिया.

भारत-भूटान मित्रता के केंद्र में लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए शिक्षा क्षेत्र में साझेदारी के साथ-साथ डिजिटल प्रौद्योगिकी, स्टार्टअप तथा स्टेम जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में सहयोग पर भी चर्चा की गई.

दोनों देशों ने भूटान के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा आयोजित रिमोट सेंसिंग प्रौद्योगिकी पर तकनीकी क्षमता निर्माण सहित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी साझेदारी की सराहना की.

इसके अलावा, लोगों और वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही के लिए रेल और सड़क कनेक्टिविटी के विकास तथा व्यापार बुनियादी ढाँचे के उन्नयन का भी स्वागत किया गया.

दोनों देशों ने हाल ही में आव्रजन और व्यापार मार्गों के लिए अतिरिक्त बिंदु खोलने पर बातचीत को आगे बढ़ाया.

दो रेल-लिंक, बानरहाट (पश्चिम बंगाल) – समत्से (भूटान) और कोकराझार (असम) – गेलेफू (भूटान) की स्थापना की दिशा में प्रगति पर भी चर्चा हुई.

दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि वे शिक्षा क्षेत्र में भारत-भूटान साझेदारी का विस्तार करेंगे, जिससे लोगों के बीच जीवंत संबंध मजबूत होंगे.

पीएम टोबगे ने पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए दोस्ती के अनूठे सभ्यतागत और ऐतिहासिक संबंधों को याद किया और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत के साथ काम करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई.

उन्होंने भूटान के राजा की ओर से पीएम मोदी को जल्द भूटान आने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.

नई दिल्ली में शीर्ष नेताओं के साथ अपने सफल विचार-विमर्श के बाद, प्रधानमंत्री टोबगे महाराष्ट्र के राज्यपाल और भारतीय व्यापारिक नेताओं से मिलने के लिए मुंबई जाएँगे.

एकेजे/