New Delhi, 3 सितंबर अरबपति निवेशक मार्क मोबियस ने कहा है कि India एक उभरता हुआ प्रमुख बाजार है और चीन लंबे समय में India की वृद्धि दर में पीछे नहीं छोड़ सकता है.
मोबियस ने कहा कि भारतीय निर्यात पर अमेरिकी शुल्क और अल्पकालिक अस्थिरता के बावजूद, India अपनी मजबूत घरेलू मांग और Governmentी सुधार के कारण अन्य उभरते बाजारों पर अपनी बढ़त बनाए रखेगा.
मोबियस ने अपने पोर्टफोलियो का लगभग 20 प्रतिशत India में निवेश किया है.
इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में, उन्होंने कहा कि अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप द्वारा निर्यात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने से फार्मा, जेम्स और परिधान जैसे क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं. हालांकि, उनका मानना है कि भारतीय व्यवसाय अफ्रीका जैसे अन्य बाजारों में मैन्युफैक्चरिंग को स्थानांतरित करके अनुकूलन कर सकते हैं.
मोबियस ने कहा, “भारतीय उद्यमी बहुत रचनात्मक हैं. मुझे लगता है कि वे इनमें से कुछ समस्याओं से निपटने में सक्षम होंगे.”
अमेरिकी टैरिफ के बारे में उन्होंने कहा, “निर्यात से आर्थिक विकास में ज्यादा से ज्यादा 0.5 प्रतिशत से 0.75 प्रतिशत की कमी आ सकती है. लेकिन India का घरेलू बाजार बहुत बड़ा है और अभी भी तेजी से बढ़ रहा है. अगर विकास दर का अनुमान 6 प्रतिशत से घटकर 5.5 प्रतिशत भी हो जाए, तो भी यह कोई बड़ी बात नहीं है.”
अरबपति निवेशक ने कहा कि अमेरिकी Government को रूस से तेल आयात के लिए India को अलग से ट्रीट नहीं करना चाहिए, उन्होंने बताया कि चीन भी इतनी ही मात्रा में तेल खरीद रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि बातचीत से इन मतभेदों को सुलझाया जा सकता है, खासकर जब वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें गिर गई हैं.
उन्होंने कमजोर रुपए को निर्यातकों के लिए सकारात्मक बताया और कहा कि Governmentी समर्थन इस झटके को कम करेंगे.
मोबियस ने कहा, “भारतीय बाजार स्वस्थ दिख रहा है. अर्थव्यवस्था अभी भी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है. अंततः, India और अमेरिका एक समझौते पर पहुंचेंगे क्योंकि यह स्थिति लंबे समय तक नहीं चल सकती.”
इससे पहले दिग्गज निवेशक ने कहा था कि India में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है. India की जनसंख्या अब चीन से काफी ज्यादा है.
कुछ ही वर्षों में, India दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. 2025 तक, कुल सकल घरेलू उत्पाद के मामले में India अमेरिका, चीन और जर्मनी से पीछे रहेगा.
–
एबीएस/