झारखंड में ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों के नहीं मिल रहे सुर-ताल, कहीं जिद तो कहीं बगावत

रांची, 6 अप्रैल . एकजुटता के तमाम दावों के बावजूद झारखंड में “इंडिया” गठबंधन के घटक दलों के “सुर-ताल” आपस में मिल नहीं पा रहे हैं. कहीं सीट को लेकर पार्टियों की जिद तो कहीं बागियों के तेवर की वजह से गठबंधन के साझे चूल्हे की “खिचड़ी” का जायका बिगड़ता दिख रहा है.

चुनाव की घोषणा के 20 दिन बाद भी राज्य की 14 में से सात सीटों पर उम्मीदवारी को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है, जबकि दूसरी तरफ एनडीए के प्रत्याशी सभी 14 सीटों पर प्रचार अभियान में जुटे हैं.

आलम यह कि गठबंधन में शामिल रहीं दो वामपंथी पार्टी — सीपीआई और सीपीएम ने अपनी राह अलग कर ली है. सीपीआई ने चार सीटों — चतरा, लोहरदगा, पलामू और दुमका में अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. हजारीबाग सीट पर भी वह अपना प्रत्याशी दे सकती है.

सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद सदस्य प्रमोद कुमार पांडेय ने कहा, “पहले हमारी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन अब हम स्वतंत्र रूप से झारखंड के चुनाव मैदान में हैं. फिलहाल चार सीटों पर हमारे प्रत्याशियों के नाम घोषित हो चुके हैं. हमने गठबंधन के तहत सिर्फ एक सीट हजारीबाग देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उन्होंने इसे नहीं माना.”

इधर सीपीएम के झारखंड प्रदेश राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि उनकी पार्टी राजमहल और चतरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेगी. चतरा सीट पर राजद और कांग्रेस के बीच जबरदस्त जिच है. यहां दोनों पार्टियां अपने प्रत्याशी उतारने पर अड़ी हैं. 2019 में भी महागठबंधन में यही स्थिति बनी थी और दोनों के प्रत्याशी एक साथ मैदान में उतर आए थे. अंततः दोनों को शिकस्त खानी पड़ी.

लोहरदगा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुखदेव भगत को प्रत्याशी बनाया है, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा अब भी इसपर दावा कर रहा है.

झामुमो के केंद्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कांग्रेस से कहा है कि वह इस सीट पर पुनर्विचार करे. यहां झामुमो उससे ज्यादा मजबूत स्थिति में है.

दरअसल, पार्टी यहां विशुनपुर से अपने विधायक चमरा लिंडा को प्रत्याशी बनाना चाहती है. कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी उतारे जाने के बाद वह बगावती मूड में हैं. शुक्रवार को उन्होंने सीएम आवास में आयोजित पार्टी के विधायकों-सांसदों की बैठक से भी दूरी बना ली. वह स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने का मूड बना चुके हैं.

इसी तरह राजमहल सीट को लेकर विधायक लोबिन हेंब्रम बगावत पर उतर चुके हैं. झामुमो यहां मौजूदा सांसद विजय हांसदा को फिर से प्रत्याशी बनाने का मन बना चुका है तो दूसरी तरफ लोबिन हेंब्रम पार्टी टिकट की परवाह छोड़ अपने बूते मैदान में उतरने को तैयार हैं.

एसएनसी/