भारत ने 100 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता की हासिल, पीएम मोदी ने बताया मील का पत्थर

New Delhi, 13 अगस्त . Prime Minister Narendra Modi ने India की स्वच्छ ऊर्जा यात्रा में एक और बड़ी उपलब्धि की घोषणा की. देश ने 100 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता हासिल कर ली है. इसकी जानकारी Prime Minister ने social media के जरिए दी.

उन्होंने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर Union Minister प्रह्लाद जोशी के पोस्ट को री-पोस्ट करते हुए लिखा, “यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और मील का पत्थर है. यह India की विनिर्माण क्षमताओं की सफलता और स्वच्छ ऊर्जा को लोकप्रिय बनाने के हमारे प्रयासों को दर्शाता है.”

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताई और इसे India की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.

उन्होंने लिखा, “India ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. स्वीकृत मॉडल और निर्माता सूची (एएलएमएम) के तहत 100 गीगावाट सौर पीवी मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता, जो 2014 में केवल 2.3 गीगावाट थी.”

उन्होंने आगे कहा, “Prime Minister Narendra Modi के दूरदर्शी नेतृत्व और उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी परिवर्तनकारी पहलों के दम पर हम एक मजबूत, आत्मनिर्भर सौर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं. यह उपलब्धि आत्मनिर्भर India और 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता के लक्ष्य की दिशा में हमारी राह को और मजबूत करती है.”

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, India ने 2014 में मात्र 2.3 गीगावाट की सौर विनिर्माण क्षमता से शुरुआत की थी, जो 2025 में 100 गीगावाट तक पहुंच गई है. यह उपलब्धि India के मजबूत विनिर्माण क्षेत्र और स्वच्छ ऊर्जा के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.

केंद्र Government की प्रतिबद्धता India को सौर पीवी विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाना और देश को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एक प्रमुख देश के रूप में स्थापित करना है. इन हस्तक्षेपों के उत्प्रेरक प्रभाव के परिणामस्वरूप सौर मॉड्यूल निर्माण क्षमता में विस्तार हुआ है, जो साल 2014 में मात्र 2.3 गीगावाट से बढ़कर आज 100 गीगावाट से अधिक हो गई है. यह साल 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता प्राप्त करने की India की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और वैश्विक डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में सार्थक योगदान देता है.

एफएम/एबीएम