नई दिल्ली, 30 मार्च . नया वित्त वर्ष शुरू होने में 48 घंटे से भी कम का समय बचा हुआ है. इसके साथ ही इनकम टैक्स से जुड़े कई नियमों में बदलाव होने जा रहा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आम बजट 2025 में कई अहम ऐलान किए गए थे, जो कि एक अप्रैल से लागू हो रहे हैं, जिनका सीधा असर वेतन पाने वाले लोगों की जेब पर पड़ेगा.
इन नए नियमों में इनकम टैक्स में अधिक छूट से लेकर टीडीएस नियमों में हुए बदलाव शामिल हैं.
वित्त मंत्री द्वारा बजट में नई टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स में बढ़ाई गई छूट एक अप्रैल से लागू हो रही है. अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोग इनकम टैक्स छूट के दायरे में आएंगे. पहले यह आंकड़ा 7 लाख रुपये पर था.
इसके अलावा, अगर वेतन पाने वाले लोगों को मिलने वाली 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की छूट को मिला जाए तो इनकम टैक्स में छूट बढ़कर 12.75 लाख रुपये हो जाती है.
हालांकि, इनकम टैक्स छूट में कैपिटल गेन को शामिल नहीं किया गया है. इस पर अलग से टैक्स लगाया जाएगा.
सरकार ने नई टैक्स रिजीम के तहत नए टैक्स स्लैब भी पेश किए हैं, जबकि पुरानी टैक्स रिजीम में किसी प्रकार का कोई बदलाव नहीं किया गया है .
अब नई टैक्स रिजीम के तहत 4 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स-फ्री होगी, जबकि 4 लाख रुपये से 8 लाख रुपये के बीच की इनकम पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा. इनकम बढ़ने के साथ टैक्स की दरें धीरे-धीरे बढ़ती जाएंगी और 24 लाख रुपये से अधिक इनकम पर यह 30 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.
केंद्र सरकार ने बजट में सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया है, जिससे नई टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपये तक की आय टैक्स-फ्री हो जाएगी.
बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस कटौती की सीमा को 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है. इसका मतलब यह है कि अब बैंक जमा पर मिली 50,000 रुपये तक की राशि पर कोई टीडीएस नहीं कटेगा.
1 अप्रैल से नियोक्ताओं द्वारा दिए जाने वाले लाभ और भत्ते अब कर योग्य सुविधाओं के रूप में वर्गीकृत नहीं किए जाएंगे.
इसके अतिरिक्त, यदि कोई नियोक्ता किसी कर्मचारी या उसके परिवार के लिए विदेश में चिकित्सा उपचार की लागत को वहन करता है, तो इस व्यय को कर योग्य लाभ नहीं माना जाएगा.
टेक्सपेयर्स के पास अब अपडेटेड आयकर रिटर्न (आईटीआर-यू) दाखिल करने के लिए दो के बजाय चार साल का समय होगा. यह विस्तार व्यक्तियों को अपनी कर फाइलिंग में त्रुटियों या चूक को लंबे समय तक सुधारने की अनुमति देता है.
माता-पिता के लिए एक नया टैक्स-बचत विकल्प पेश किया गया है. जो लोग अपने बच्चे के एनपीएस वात्सल्य खाते में योगदान करते हैं, वे पुरानी कर व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का दावा कर सकते हैं.
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एबीएस/