थाईलैंड के सबसे पुराने बौद्ध विश्वविद्यालय में भारत अध्ययन केंद्र का उद्घाटन

बैंकॉक, 20 मार्च . थाईलैंड के सबसे पुराने बौद्ध विश्वविद्यालय महा चुलालोंगकोर्न राजविद्यालय विश्वविद्यालय में गुरुवार को एक नए भारत अध्ययन केंद्र (सीबीएस) का उद्घाटन किया गया.

इस उद्घाटन समारोह का आयोजन थाईलैंड में भारत के राजदूत नागेश सिंह और फ्रा सिथिवज्रबंडित द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.

फ्रा इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और विदेश मामलों के लिए वाइस रेक्टर हैं.

इस अवसर पर भारत, थाईलैंड और अन्य देशों के कई प्रतिष्ठित भिक्षु, प्रतिष्ठित विद्वान और शिक्षाविद भी मौजूद थे.

भारतीय दूतावास ने एक्स पर पोस्ट किया, “केंद्र बौद्ध धर्म पर आधारित सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों के साथ-साथ समकालीन समय में वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका के बारे में अधिक समझ और विद्वता को बढ़ावा देना चाहता है.”

पोस्ट के मुताबिक, “राजदूत नागेश सिंह ने अपने मुख्य भाषण में केंद्र और भारतीय विश्वविद्यालयों के बीच अधिक से अधिक शैक्षणिक आदान-प्रदान के महत्व पर प्रकाश डाला, ताकि इसे ज्ञान का एक जीवंत केंद्र बनाया जा सके.”

थाईलैंड में ऐसे पांच केंद्र पहले से ही कार्यरत हैं. ये सेंटर चूलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय, शिल्पाकोर्न विश्वविद्यालय, थम्मासैट विश्वविद्यालय, महिंद्रा विश्वविद्यालय और चियांग माई विश्वविद्यालय में स्थित हैं.

भारत अध्ययन केंद्र के अलावा, थाई विश्वविद्यालयों में नौ भारत कॉर्नर भी स्थापित किए गए हैं. ये भारत कॉर्नर – थम्मासैट विश्वविद्यालय के प्रिडीबनोमयोंग इंटरनेशनल कॉलेज, चूललोंगकोर्न विश्वविद्यालय, माई फाह लुआंग यूनिवर्सिटी, सूरत थानी राजभट विश्वविद्यालय, प्रिंस ऑफ सोंगक्ला यूनिवर्सिटी, चियांग माई विश्वविद्यालय, उबोनरत्चथानी विश्वविद्यालय, श्रीनाखारिनविरोत यूनिवर्सिटी और थाईलैंड के राष्ट्रीय पुस्तकालय में स्थित हैं.

भारत और थाईलैंड के बीच द्विपक्षीय संबंध इतिहास, सदियों पुराने सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों और व्यापक लोगों के बीच संपर्क में निहित हैं.

बौद्ध धर्म भारत थाइलैंड को और करीब लाता है. थाईलैंड में बौद्ध धर्म का थेरवाद स्कूल अहमियत रखता जिसका पालन लगभग 93.4 प्रतिशत आबादी करती है. थाईलैंड चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बौद्ध आबादी है, जिसमें लगभग 64 मिलियन बौद्ध हैं.

एमके/