वाराणसी, 6 फरवरी . उत्तर प्रदेश में वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने महाशिवरात्रि पर महाकुंभ के मद्देनजर विशेष आयोजन की तैयारी शुरू कर दी है. इस वर्ष इस अवसर पर मंदिर के कपाट लगातार 36 घंटे खुले रहेंगे, ताकि भक्त बिना किसी बाधा के भगवान के दर्शन कर सकें.
मंदिर प्रशासन ने बताया कि सुबह मंगला आरती के बाद मध्याह्न भोग आरती आयोजित की जाती है, और इसके बाद कोई आरती नहीं होगी. महाकुंभ और महाशिवरात्रि की भीड़ को देखते हुए न्यास द्वारा यह फैसला लिया गया है, जिससे भक्तों को निरंतर सेवा मिल सके.
काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विश्व भूषण मिश्रा ने कहा, “श्री काशी विश्वनाथ धाम में महाकुंभ के कारण बहुत अधिक संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं. न्यास ने महाशिवरात्रि और श्रावण सोमवार के लिए विशेष प्रबंध किए हैं, जो पूरे आयोजन में जारी रहेंगे. महाशिवरात्रि के दो दिन पहले से लेकर दो दिन बाद तक विशेष व्यवस्थाएं रहेंगी. इसमें वृद्धों और निदेशकों के लिए अलग-अलग सेवाओं, जल व्यवस्था, सिक्के, उपकरण और अन्य आवश्यकताओं का प्रबंध किया गया है.”
उन्होंने कहा, “मंदिर द्वारा भक्तों की सुविधा के लिए पानी और गुड़ की व्यवस्था, चेयर्स की सुविधा, और जरूरत पड़ने पर ग्लूकोज भी उपलब्ध कराया जाएगा. दर्शन का समय 36 घंटे लगातार रहेगा जिसमें सुबह की मंगला आरती, मध्याह्न भोग आरती और रात में चार पहर की आरती शामिल है. इस वर्ष महाशिवरात्रि पर अनुमानित भीड़ 7 से 12 लाख श्रद्धालुओं की है. पिछले वर्ष 36 घंटे के दौरान 12 लाख और 24 घंटे के दौरान 10 लाख भक्तों ने दर्शन किए थे, जिससे यह साफ होता है कि इस बार भीड़ में इजाफा हो सकता है.”
उन्होंने कहा, “महाकुंभ के कारण भक्तों की संख्या में वृद्धि की संभावना जताई जा रही है. इसलिए राष्ट्रीय संध्या जैसा आयोजन इस बार संभव नहीं है, क्योंकि महाकुंभ के लिए पहले से ही विस्तृत व्यवस्थाएं की जा चुकी हैं. हालांकि, मंदिर में शास्त्रीय और शास्त्र सम्मत आयोजन जैसे पूजा-पाठ, मंत्रोच्चार, वैदिक यज्ञ, और रुद्राभिषेक नियमित रूप से आयोजित होते रहेंगे. प्रशासन ने यह भी निर्देश दिया है कि श्रद्धालुओं के लिए बैग उपलब्ध नहीं होंगे, जिससे सुरक्षा एवं व्यवस्थाओं में सहजता बनी रहे.”
उन्होंने कहा, “काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने महाशिवरात्रि और महाकुंभ के अवसर पर भक्तों के अनुभव को सर्वोत्तम बनाने के लिए हर संभव कदम उठाया है. इस विशेष आयोजन के दौरान मंदिर प्रशासन का उद्देश्य है कि भक्तों को बिना किसी रुकावट के सेवा प्रदान की जा सके और उनके मन में विश्वास और श्रद्धा बनी रहे. मंदिर में पहले से ही आने वाले भारी संख्या में भक्तों के स्वागत के लिए सभी व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से तैयार हैं, ताकि यह पावन अवसर सभी के लिए यादगार बन सके.”
–
पीएसएम/