जूनागढ़, 25 सितंबर . शारदीय नवरात्रि का पर्व India में शक्ति की उपासना और मां दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा अवसर है. इस दौरान पूरे देश में भक्त देवी मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं. Gujarat और Maharashtra जैसे राज्यों में कई प्राचीन शक्तिपीठ और मंदिर हैं, जो नवरात्रि में विशेष आकर्षण का केंद्र बनते हैं.
चंद्रभागा शक्तिपीठ: Gujarat के जूनागढ़ जिले में कपिला, हिरण्या और सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम के पास स्थित चंद्रभागा शक्तिपीठ माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. यह प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के पास है. मान्यता है कि यहीं पर माता सती का आमाशय गिरा था. यहां देवी की पूजा चंद्रभागा नाम से की जाती है.
अंबाजी शक्तिपीठ: Gujarat और Rajasthan की सीमा पर स्थित अंबाजी शक्तिपीठ भी अत्यंत प्रसिद्ध है. यह माउंट आबू से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां मां भवानी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक श्रीयंत्र स्थापित है. श्रद्धालु मानते हैं कि विशेष रूप से सजाए गए इस श्रीयंत्र में मां का विग्रह दिखाई देता है, लेकिन यह सामान्य आंखों से दिखाई नहीं देता और इसका फोटो भी नहीं लिया जा सकता. मान्यता है कि यहां मां सती का हृदय गिरा था. अंबाजी मंदिर नवरात्रि में भक्ति और आस्था का एक विशाल केंद्र बन जाता है.
भ्रामरी देवी शक्तिपीठ: Maharashtra के नासिक में गोदावरी घाटी में स्थित भ्रामरी देवी शक्तिपीठ भी मां सती के 51 पीठों में से एक है. कहा जाता है कि यहां मां सती की ठोड़ी गिरी थी. इस स्थान को भद्रकाली शक्तिपीठ भी कहा जाता है. नासिक रोड स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर दूर पंचवटी क्षेत्र में स्थित इस शक्तिपीठ में माता भ्रामरी के रूप में पूजी जाती हैं, जबकि भैरव को विकृताक्ष नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मां के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठता है.
चंद्रभागा, अंबाजी और भ्रामरी देवी जैसे शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत भी हैं. नवरात्रि के पावन अवसर पर इन मंदिरों में दर्शन करना जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार करता है. यही कारण है कि हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर मां शक्ति के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित करते हैं.
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पीआईएम/एबीएम