नई दिल्ली, 8 मई . गर्मी ने दस्तक दे दी है. आयुर्वेद के अनुसार, इस दौरान अपनी दिनचर्या पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. भागमभाग भरी जिंदगी में सुकून के कुछ पल मन-मस्तिष्क और शरीर सबके लिए नेमत साबित हो सकते हैं. हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के ग्रंथ मानते हैं कि गर्मी के मौसम में दिन की निद्रा नुकसान नहीं पहुंचाती, यह हमारे बड़े बुजुर्गों की राय के ठीक उलट है! लेकिन आखिर इसका कारण क्या है?
आयुर्वेद कहता है कि अमूमन रात में अपर्याप्त नींद शरीर में ड्राईनेस यानी वात दोष बढ़ाती है, जबकि दिन में सोने से नमी यानी कफ दोष का संचार होता है, इसलिए दिन में सोने की सलाह नहीं दी जाती है. हालांकि, गर्मियों के दौरान, सूर्य का बल (अदन काल) बढ़ा हुआ होता है और इस कारण, वात बढ़ता है तो ड्राईनेस बढ़ती है. रात छोटी होती है, इसलिए दिन में सोना नुकसान नहीं पहुंचाता. तो वजह हमारे शरीर का वात-पित्त और कफ है!
वैसे नींद बहुत प्यारी चीज होती है. चरक संहिता में इस पर विस्तृत चर्चा की गई है, जिसमें इसके महत्व और स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में बताया गया है. नींद को स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है, और इसके अभाव से वात दोष बढ़ सकता है. इसमें नींद के महत्व, मात्रा और गुणवत्ता पर विस्तार से बात की गई है. नींद इसलिए अहम है क्योंकि इससे शरीर को आराम मिलता है और सेहत भी अच्छी रहती है. नींद कितनी लेनी चाहिए, इसका भी वर्णन है, तो चरक संहिता के अनुसार, यह व्यक्ति विशेष के स्वास्थ्य और जीवनशैली पर निर्भर करता है. जहां तक गुणवत्ता की बात है, तो एक अच्छी नींद के लिए वातावरण और दिनचर्या के बीच सामंजस्य जरूरी है.
विभिन्न ग्रंथों की सलाह है कि निद्रा को नकारें नहीं. नियमित नींद लें, अच्छे वातावरण में सोएं, और सबसे जरूरी बात, विशेष परिस्थितियों में ही दोपहर को सोना श्रेयस्कर है. इनमें से गर्मियों में दोपहर की नींद भी शामिल है.
चरक संहिता में नींद आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित है और इसका उद्देश्य व्यक्ति को स्वस्थ और सुखमय जीवन जीने को प्रेरित करना है.
–
केआर/