नई दिल्ली, 30 अगस्त . वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विस्तार से विचार-विमर्श के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की दूसरी बैठक भी हंगामेदार रही. शुक्रवार को हुई इस मैराथन बैठक में बिल को लेकर भाजपा और विपक्षी सांसदों के बीच जोरदार बहस हुई. विपक्षी सांसद थोड़ी देर के लिए बैठक से वॉकआउट भी कर गये. विधेयक पर अपना पक्ष रखने के लिए बैठक में आमंत्रित मुस्लिम संगठनों ने बिल का विरोध किया. जेपीसी की अगली बैठक 5 और 6 सितंबर को होगी.
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सांसद जब बिल पर अपनी बात रख रहे थे तो उन्हें विपक्षी सांसदों की तरफ से बार-बार टोका-टाकी का सामना करना पड़ रहा था. भाजपा सांसदों ने विपक्षी सांसदों पर अनियंत्रित होने और उन्हें सही ढंग से नहीं बोलने देने का आरोप लगाया तो वहीं विपक्षी सांसदों ने यह आरोप लगाया कि भाजपा सांसद मनमानी कर रहे हैं, लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे हैं और विपक्ष के सांसदों पर व्यक्तिगत टिप्पणी भी कर रहे हैं.
बैठक में भाजपा सांसद दिलीप सैकिया और आप सांसद संजय सिंह के बीच तीखी बहस भी हुई. सिंह ने बैठक में दिल्ली का उदाहरण देते हुए यह आरोप भी लगा दिया कि भाजपा संविधान का अर्थ नहीं समझती है और न ही उसका पालन करती है, बल्कि केवल सत्ता हथियाने में व्यस्त है. सैकिया और सिंह के बीच बैठक में काफी देर तक दिल्ली के हालात, आप नेताओं की गिरफ्तारी, उपराज्यपाल के कार्य और बिल में कलेक्टर को दिए गए अधिकार को लेकर बहस होती रही. बैठक में ‘वक्फ बाई यूजर ‘और कलेक्टर के अधिकारों को लेकर अन्य सांसदों के बीच भी तीखी बहस हुई.
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आज बिल के विरोध में एक और लिखित नोट जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को दिया. बताया जा रहा है कि बैठक में असदुद्दीन ओवैसी और अभिजीत गंगोपाध्याय के बीच भी तीखी बहस हुई. गंगोपाध्याय की व्यक्तिगत टिप्पणी को अपमानजनक बताते हुए औवेसी ने जोरदार विरोध किया.
बैठक में एक समय ऐसा भी आया, जब सरकार के रवैये का विरोध करते हुए विपक्षी दलों ने बैठक से ही वॉकआउट कर दिया. दरअसल, मुस्लिम संगठन की तरफ से पेश हुए एक वकील ने बिल को लेकर पहले जेपीसी में अपनी बात रख दी थी. लेकिन उन्होंने जब दूसरी बार फिर से बोलना शुरू किया तो उन्हें यह कहते हुए रोक दिया गया कि वह दोबारा नहीं बोल सकते. विपक्षी सांसद इसका विरोध करते हुए खड़े हो गए.
असदुद्दीन ओवैसी, ए. राजा, इमरान मसूद,एम. मोहम्मद अब्दुल्ला और अरविंद सांवत सहित कई अन्य विपक्षी सांसद वॉकआउट करते हुए बैठक से बाहर निकल गए, हालांकि थोड़ी देर बाद ही वे फिर से बैठक में वापस आ गए.
बैठक में एक वाक्या ऐसा भी हुआ, जिस पर विपक्षी सांसद मजाकिया अंदाज में चुटकी भी लेते नजर आए. दरअसल, एक अधिकारी जब इस बिल के फायदे गिना रहे थे तो उनकी जुबान से गलती से आगाखानी समुदाय की बजाय अफगानी शब्द निकल गया. वह कहना यह चाहते थे कि इस बिल से बोहरा और आगाखानी जैसे मुस्लिम समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को फायदा होगा लेकिन उनकी जुबान से गलती से यह निकल गया कि इस बिल से अफगानियों को फायदा होगा, जिस पर चुटकी लेते हुए विपक्षी सांसदों ने मजाक के अंदाज में पूछा कि यह बिल भारत के लिए है या अखण्ड भारत के लिए.
मुस्लिम संगठन की तरफ से जेपीसी की बैठक में बुलाए गए ऑल इंडिया सुन्नी जमीयत-ए-उलेमा ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि उन्हें वक्फ कानूनों में संशोधन मंजूर नहीं है. वक्फ मुसलमानों का मामला है और सरकार को इसमें दखल नहीं देना चाहिए.
वहीं, जेपीसी के सामने इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स संस्था ने भी बिल में संशोधन का विरोध किया. संस्था के अध्यक्ष पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब ने इस बिल को अवैध बताते हुए यह आरोप लगाया कि सरकार मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखलंदाजी कर रही है.
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एसटीपी/एकेजे