सुबह बासी मुंह ‘सर्व रोग निवारिणी’ और ‘विष्णुप्रिया’ के सेवन से लाभ तय

नई दिल्ली, 27 जून . आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत का खास खयाल नहीं रख पा रहे हैं, जिसका सीधा असर हमारी इम्यूनिटी, पाचन और स्किन पर देखने को मिलता है. ऐसे में आयुर्वेद और हमारी प्राचीन सिद्ध चिकित्सा पद्धति कुछ ऐसे नुस्खे बताती है जिन्हें अपनाया तो छोटी-मोटी परेशानियों से मिनटों में राहत मिल सकती है. कुछ पत्तियां हैं जिन्हें खाली पेट चबा कर खाया तो तुरंत आराम मिल सकता है.

बासी मुंह नीम, तुलसी, मीठा नीम और अजवाइन के पत्ते चबाकर खाने की सलाह दी गई है, जो कई रोगों से बचाने में मदद करता है.

सुश्रुत संहिता में नीम को ‘सर्व रोग निवारिणी’ कहा जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, नीम में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल गुण भरपूर मौजूद होते हैं, यह शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करता है. वहीं, रोजाना सुबह खाली पेट 3-4 नीम की कोमल पत्तियों को चबाकर खाने से पेट से जुड़ी समस्याओं से राहत मिलती है. नीम की पत्ती स्किन को अंदर से डिटॉक्स करती है, जिससे शरीर में मौजूद सारे टॉक्सिन्स निकल जाते हैं और स्किन भी हेल्दी हो जाती है. वहीं, जिनको पिंपल है, वह डेली रूटीन में नीम की पत्ती को शामिल कर सकते हैं.

चरक संहिता में तुलसी को ‘विष्णु प्रिया’ का नाम दिया गया है. प्राचीन सिद्ध पद्धति के मुताबिक तुलसी पत्ती खाने से पाचन में सुधार, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना और सांस की बीमारियों में राहत मिलती है. हालांकि तुलसी के कई फायदे हैं, कुछ लोगों को इसके पत्तों को चबाने से बचना चाहिए, खासकर वे लोग जिन्हें पेट में अल्सर या एसिडिटी की समस्या है.

आयुर्वेद के अनुसार, मीठी नीम यानि करी पत्ते में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो पेट को साफ करने में मदद करते हैं. सुबह खाली पेट इसे चबाने से पाचक एंजाइम सक्रिय होते हैं, जिससे भोजन का पाचन बेहतर होता है और गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है. यह भूख को भी नियंत्रित करता है.

अजवाइन के पत्तों को प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर कहा जाता है, क्योंकि इसमें थाइमोल पाया जाता है. यह तत्व अपने एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए जाना जाता है, जो मुंह में बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है. सुबह बासी मुंह अजवाइन चबाने से सांसों में ताजगी आती है और मसूड़ों को भी फायदा मिलता है.

एनएस/केआर