परीक्षा पे चर्चा में विशेषज्ञों की राय, ‘टेक्नोलॉजी को ‘मास्टर’ नहीं ‘सेवक’ होना चाहिए’

नई दिल्ली, 13 फरवरी . विशेषज्ञों ने गुरुवार को ‘परीक्षा पे चर्चा 2025’ के तीसरे एपिसोड में कहा कि टेक्नोलॉजी को मास्टर नहीं, सेवक होना चाहिए.

इस एपिसोड में एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट की मुख्य कार्यकारी अधिकारी राधिका गुप्ता और टेक्निकल गुरुजी गौरव चौधरी ने छात्रों के साथ- टेक्नोलॉजी पर पूरी तरह निर्भर हुए बिना इसका सर्वोत्तम इस्तेमाल कैसे किया जाए, विषय पर चर्चा की.

राधिका गुप्ता ने कहा, “प्रोफेशनल संदर्भ में, अगर टेक्नोलॉजी हमारी स्किल से आगे निकल जाती है तो यह एक मुद्दा बन जाता है. मैं टेक्नोलॉजी को अपना मास्टर बनाने के बजाय अपना सेवक बनाना चाहती हूं.”

उन्होंने कहा कि वह एआई पर निर्भर नहीं रहना चाहती, बल्कि इसे खुद करना चाहती हैं, भले ही इसमें अधिक समय लगे.

गुप्ता ने कहा, “मेरा पैशन लिखना, वाक्य बनाना और शब्दों से खेलना है, मैं नहीं चाहती कि एआई मेरे लिए 800 शब्दों का निबंध लिखे; मैं इसे खुद करना चाहती हूं. मैं खुद को लगातार याद दिलाती हूं कि इसके लिए एआई पर निर्भर न रहूं, भले ही इसमें अधिक समय लगे.”

गौरव चौधरी ने कहा कि हालांकि टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन समय के साथ हम टेक्नोलॉजी पर अधिक निर्भर हो गए हैं, जिससे फोन नंबर जैसी सरल चीजों को याद रखने की हमारी क्षमता प्रभावित हुई है.

उन्होंने कहा, “हमारी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता इस हद तक नहीं होनी चाहिए कि यह हमारे स्किल सेट, हमारी क्रिएटिविटी और हमारे मूल सार को प्रभावित करे.”

इसके अलावा, क्लासरूम सेटिंग्स में एआई के इस्तेमाल पर विशेषज्ञों ने कहा कि इसे उदाहरणों को दिखाने तक ही सीमित रखा जाना चाहिए.

गौरव चौधरी ने कहा, “मुझे लगता है कि शिक्षक की भूमिका ज्ञान और अनुभव प्रदान करना है. जैसे एक अंग्रेजी शिक्षक यह प्रदर्शित करना चाहता है कि कैसे अच्छा लिखना है, वे कक्षा में कुछ अच्छे उदाहरण दिखाने के लिए एआई का इस्तेमाल कर सकते हैं.”

चौधरी ने कहा, “एआई को एक सहायक के रूप में सोचें जो आपके सभी काम कर सकता है और सबसे अच्छी बात यह है कि यह वेतन भी नहीं लेता है.”

इससे पहले गुप्ता ने बताया कि कैसे इस साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ के एडिशन में उन महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किया गया जो दो दशक पहले प्रासंगिक नहीं थे, जैसे एआई और मेंटल हेल्थ.

उन्होंने से कहा, “‘परीक्षा पे चर्चा’ जैसे मंच छात्रों को मेंटल हेल्थ, टाइम मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी से जुड़ी चिंताओं पर खुलकर चर्चा करने का अवसर प्रदान करते हैं, क्योंकि वे आज की तेज-तर्रार दुनिया में अत्यधिक तनाव और दबाव का सामना करते हैं.”

गुप्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक मित्र और प्रेरक के रूप में खास से आम लोगों को प्रेरित करने की क्षमता के लिए प्रशंसा की.

एसकेटी/केआर