धरती का सीना चीर कर लोगों का पेट भरने वाले हजारों अन्नदाताओं के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मिलने वाले मुआवजे के पिछले चार साल से प्रदेश के करीब 25 करोड़ रुपए पिछले एक साल से अटके हुए हैं. वजह बीमा कंपनी की ओर क्लेम जारी होने के बाद भी संबंधित का खाता बंद होने का हवाला देकर नामिनी को भुगतान नहीं किया जा रहा है. जिससे किसानों के परिजन मुआवजे की राशि लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं. किसान बीमित होने के बावजूद खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. प्रीमियम के रूप में हर सीजन में करोड़ों रुपए बटोरने वाली बीमा कंपनी ऋणी की मृत्यु होने या खाता बंद होने पर बीमा कंपनी क्लेम जारी होने के बाद भी डीबीटी का हवाला देकर क्लेम का भुगतान नॉमिनी को नहीं करती है. गौरतलब है कि प्रदेश में चार वर्षों में 23,782 करोड़ रुपए का प्रीमियम लिया गया है जबकि 12,313 करोड़ रुपए का प्रीमियम जारी किया गया है.
यूं अटका मुआवजा
बीमा कंपनी की ओर से मुआवजे की राशि बीमा करवाते समय दी गई जानकारी के अनुसार ही खाते में ट्रांसफर किया जा रहा है. जबकि हकीकत यह है कि पिछले चार साल में सरकारी बैंकों से लोन लेने वाले कई ऋणी किसानों की मौत हो चुकी है वही कई किसानों ने अपने किसान कार्ड के खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर लिया है. जबकि पूर्व में बीमा कंपनियों की ओर से बीमा करवाने वाले किसानों के पैसे संबंधित बैंक शाखा में भेज दिए जाते थे. जिससे बैंक खुद के स्तर पर संबंधित का पता लगवाता था और नॉमिनी को बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाता था.
फैक्ट फाइल
वर्ष प्रीमियम करोड़ में
2019- 5093
2020- 6305
2021- 6155
2022- 6229
वर्ष क्लेम करोड़ में
2019- 3466
2020- 4920
2021- 2912
2022- 1015