नीमच, 17 सितंबर . Prime Minister Narendra Modi की ओर से शुरू की गई Prime Minister सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों में युवाओं के लिए स्वरोजगार का नया द्वार खोल रही है.
‘वोकल फॉर लोकल’ के सिद्धांत पर आधारित यह योजना स्थानीय विनिर्माण, बाजार और सप्लाई चेन को मजबूत कर रही है.
Madhya Pradesh के नीमच जिले में इस योजना का प्रभाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है, जहां शिक्षित बेरोजगार और छोटे व्यापारी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कर आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ रहे हैं.
जिला उद्यानिकी विभाग के उपसंचालक अतर सिंह कन्नौजी के अनुसार, पीएमएफएमई योजना के तहत जिले में प्रचार-प्रसार, मीटिंग और सेमिनारों के जरिए युवाओं को जागरूक किया जा रहा है. इस वर्ष जिले में 35 युवाओं को इस योजना का लाभ मिला है, जबकि पिछले चार वर्षों में 150 से अधिक नवीन उद्यम स्थापित किए गए हैं. ये उद्यम मसाला उद्योग, डेयरी, तेल मिल जैसे क्षेत्रों में कार्यरत हैं, जो न केवल स्वरोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी कर रहे हैं.
जावद, सरवानिया महाराज और उम्मेदपुरा जैसे क्षेत्रों में युवा न सिर्फ अपने लिए रोजगार सृजित कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी अवसर प्रदान कर रहे हैं. सरवानिया महाराज की वर्षा शर्मा और उनकी देवरानी पिंकी शर्मा ने पीएमएफएमई योजना के तहत 12 लाख रुपए का ऋण लेकर ‘शिव धारा फ्रेश फूड’ नाम से कोल्ड प्रेस ऑयल यूनिट शुरू की. यह यूनिट मूंगफली, तिल और सरसों से शुद्ध खाद्य तेल का उत्पादन कर रही है.
वर्षा शर्मा ने बताया, “हमने इस योजना से लोन लेकर यह व्यवसाय शुरू किया. हम Prime Minister मोदी का धन्यवाद करते हैं, जिनके प्रयासों से हम आत्मनिर्भर बने.”
इसी तरह, जावद के मोहम्मद फारूक ने 11 लाख रुपए की सहायता से लहसुन प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की. उनकी यूनिट में लहसुन की ग्रेडिंग, छिलाई और पैकेजिंग होती है, जिसका माल Gujarat, Rajasthan सहित कई राज्यों में पहुंच रहा है.
फारूक ने कहा, “इस योजना ने मेरे कारोबार को बढ़ाने में मदद की. मेरी यूनिट में 8-10 लोगों को रोजगार मिला है. यह योजना बिना भेदभाव के सभी के लिए है.”
जावद के तारापुर गांव के अवतार किशन श्योपुरा ने 6 लाख रुपए के ऋण से डेयरी यूनिट शुरू की. वे प्रतिदिन 3-4 क्विंटल दूध से मावा, घी और मिठाई जैसे उत्पाद तैयार कर रहे हैं. अवतार ने बताया, “पहले मैं 10-20 लीटर दूध से काम करता था, लेकिन इस योजना से मेरी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई और अब मैं बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहा हूं.”
–
एकेएस/एससीएच