चित्तौड़गढ़, 22 मार्च . राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित प्राचीन श्री हजारेश्वर महादेव मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और दिव्य आस्था के लिए प्रसिद्ध है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि साल में दो बार सूर्य की पहली किरण भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर गिरती है और सूर्य किरण से उनका अभिषेक होता है.
मंदिर के महंत चंद्र भारती महाराज ने बताया कि मंदिर का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि उगते हुए सूर्य की पहली किरण वेधशाला मंडप और गर्भगृह के छोटे से द्वार को पार कर सीधे शिवलिंग पर पड़ती है. इसे एक शुभ संयोग माना जाता है. सनातन धर्म में सूर्य को ऊर्जा का स्रोत और ग्रहों का राजा कहा जाता है, और जब सूर्यदेव स्वयं भगवान शिव का अभिषेक करते हैं, तो यह दृश्य भक्तों के लिए दिव्य अनुभूति लेकर आता है.
हजारेश्वर महादेव मंदिर के आचार्य श्रवण सामवेदी के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण एक विशेष पुष्य नक्षत्र में हुआ था. मान्यता है कि इस नक्षत्र में निर्मित होने के कारण मंदिर के गुंबद के पास वास्तुकार की आकृति भी उकेरी गई है. महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं और भोलेनाथ का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करते हैं.
चित्तौड़गढ़ के पावटा चौक के पास स्थित यह मंदिर आस्था का केंद्र है. मंदिर की विशेष वास्तुकला और सूर्य किरणाभिषेक की दुर्लभ घटना इसे अन्य शिवालयों से अलग बनाती है. श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां दर्शन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
महंत चंद्र भारती जी महाराज कहते हैं, “भगवान शिव भाव के भूखे हैं. उनका अभिषेक कई प्रकार से किया जाता है. जलाभिषेक, रुद्राभिषेक के साथ ही, जब सूर्यदेव स्वयं भगवान शिव का अभिषेक करते हैं, तो यह अत्यंत पवित्र और दुर्लभ क्षण बन जाता है.”
उन्होंने कहा कि ऐसे में हजारेश्वर महादेव मंदिर में होने वाला सूर्य किरणाभिषेक इसे भक्तों के लिए एक दिव्य और आध्यात्मिक स्थल बना देता है, जहां भगवान भोलेनाथ की कृपा सदैव बनी रहती है.
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डीएससी/एकेजे