New Delhi, 8 सितंबर . बलूचिस्तान में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं. मानवाधिकार संगठन चीख-चीख कर पाकिस्तानी सेना की ज्यादती बयां कर रहे हैं. आंकड़ों और तथ्यों के साथ काउंटर टेररिज्म के नाम पर बेगुनाहों को कत्ल करने की साजिश का पर्दाफाश कर रहे हैं.
इसके अलावा, प्रांत में 900 से ज्यादा लोगों के जबरन गायब होने की भी खबरें हैं. बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) सेना के निशाने पर है क्योंकि वह खनिज सौदे और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) का विरोध कर रही है. बीएलए का कहना है कि उनके क्षेत्र में खनिजों और अन्य संसाधनों का दोहन किया जाता है, लेकिन रिफॉर्म्स से वे अछूते हैं.
अब जब अमेरिका ने बीएलए को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है, तो सेना ने इस संगठन के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी है. हालांकि, खुफिया सूत्रों का कहना है कि सिर्फ बीएलए के सदस्य ही निशाने पर नहीं हैं. सेना बड़े पैमाने पर नरसंहार की मंशा रखती है और इस कोशिश में कई निर्दोष नागरिक मारे गए हैं.
अमेरिका और चीन दोनों की इस क्षेत्र में रुचि के कारण, पाकिस्तान पर बलूचिस्तान को हिंसा से मुक्त रखने का दबाव बढ़ गया है. अधिकारियों का कहना है कि लोगों की चिंताओं का समाधान करने के बजाय, सेना उनके खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल कर रही है. सेना बलूच लोगों को निशाना बनाने के लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन और जमीनी स्तर पर तैनात कर्मियों का इस्तेमाल कर रही है.
हाल ही में चीन यात्रा के दौरान, पाकिस्तान के Prime Minister शहबाज शरीफ को साफ तौर पर बता दिया गया कि सीपीईसी-2 परियोजना में चीन कोई निवेश नहीं करेगा. चीन ने पाकिस्तानियों से धन जुटाने को कहा, लेकिन ये भी कहा कि परियोजना जारी रहेगी. इसका एक प्रमुख कारण यह है कि पाकिस्तान सुरक्षा के मोर्चे पर बुरी तरह विफल रहा है. बीएलए और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हिंसक हमलों के कारण चीन को काफी नुकसान हुआ है. उसके कई लोग मारे गए हैं और बुनियादी ढांचों को भी नुकसान पहुंचा है.
इसके अलावा, चीन ने पाकिस्तान से अमेरिका के साथ किए गए खनिज सौदे की भी जानकारी मांगी है. चीन ने यह भी स्पष्ट किया कि वह भी बलूचिस्तान के खनिजों में रुचि रखता है.
पाकिस्तान की समस्या यह है कि वह बलूचिस्तान को लेकर दोनों ही बड़ी ताकतों को कोई आश्वासन नहीं दे पा रहा है. वह न तो अमेरिका और न ही चीन को सुरक्षा की गारंटी दे पा रहा है. बीएलए और टीटीपी सेना के लिए बहुत शक्तिशाली साबित हो रहे हैं.
इसके अलावा, सेना बीएलए के खिलाफ पूरी ताकत से नहीं जा सकती क्योंकि ऐसा करना उसके अपने ही लोगों की जान लेने के बराबर होगा. पाकिस्तानी सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल असीम मुनीर ने अमेरिका में एक बैठक के दौरान, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर बलूचिस्तान आर्मी (बीएलए) को आतंकवादी संगठन घोषित करने के लिए दबाव डाला. अमेरिका द्वारा ऐसा किए जाने के बाद, सेना ने आतंकवाद विरोधी कार्रवाई के नाम पर बलूचिस्तान में लोगों की हत्या करने पर पूरी ताकत झोंक दी.
दरअसल, पाकिस्तानी सेना इस क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण चाहती है. वह यह भी नहीं चाहती कि बलूचिस्तान के लोग वहां मौजूद रहें. भारतीय एजेंसियों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई और भी तेज होने वाली है.
पाकिस्तान के लिए, यह एक निराशाजनक स्थिति है. वह क्षेत्र के लोगों को अपने साथ नहीं ला सकता, क्योंकि उसे उनमें विश्वास नहीं है. इसके अलावा, चीन सुरक्षा और पाकिस्तान को दिए गए ऋण, दोनों मामले में अपना हक चाहता है, इसलिए सेना के पास आक्रामक रुख अपनाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
पाकिस्तान के लिए, अमेरिका के साथ खनिज समझौता उसकी वित्तीय स्थिति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. अगर यह समझौता नहीं होता है, तो उसे चीन के गुस्से का सामना करना पड़ेगा क्योंकि इस्लामाबाद सीपीईसी-2 के लिए भुगतान नहीं कर पाएगा. इस उलझन के बीच, बलूचिस्तान के सैकड़ों निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं.
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केआर/