
New Delhi, 12 सितंबर . अमेरिकी President डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से जुड़ी चिंताओं और 4 अरब डॉलर से अधिक की एफआईआई की बिकवाली के बीच भारतीय शेयर बाजार में कई कारकों की वजह से एक बड़ी गिरावट टल गई है. इन कारकों में घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की खरीदारी, GST रेट्स को रेशनलाइज बनाने को लेकर आशावाद, पहली तिमाही के मजबूत जीडीपी आंकड़ों और ऑटोमोबाइल शेयरों में तेजी शामिल हैं. यह जानकारी Friday को आई एक रिपोर्ट में दी गई.
एचएसबीसी म्यूचुअल फंड के अनुसार, डीआईआई ने 10.8 अरब डॉलर का निवेश किया, जिससे एफआईआई द्वारा की गई 4.3 अरब डॉलर की बिकवाली की भरपाई हो गई. इसकी वजह से अगस्त में बाजार मामलूी गिरावट तक सीमित रहा. सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमशः 1.5 प्रतिशत और 1.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों को मजबूत सेवाओं और विनिर्माण क्षेत्र का समर्थन प्राप्त था. जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक घटकर 1.6 प्रतिशत रह गया, जो आठ वर्षों में सबसे कम है, जिससे बाजार में खरीदारी को बल मिला.
ऑटो सेक्टर ने GST दरों में कटौती का लाभ उठाते हुए बेहतर प्रदर्शन किया, जबकि ऑयल एंड गैस, बिजली और रियल एस्टेट क्षेत्र पिछड़ गया.
एसएंडपी ने India की सॉवरेन रेटिंग को बीबीबी- से बढ़ाकर बीबीबी (स्टेबल) कर दिया, जो लगभग दो दशकों में पहली बार हुआ, जिससे इस महीने शेयर बाजार को भी बढ़ावा मिला.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले का करेंसी, इक्विटी और बॉन्ड बाजारों पर असर पड़ा. राजकोषीय चिंताओं के कारण भारतीय मुद्रा कमजोर हुई.
जीडीपी के 4.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के पूरा होने की उम्मीद है, हालांकि कमजोर कर संग्रह और GST रेट्स को रेशनलाइज बनाने से कुछ जोखिम पैदा होंगे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने 2025 में ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की कटौती की योजना बनाई है और अब इसमें कुछ समय लग सकता है.
इस बीच, लिक्विडिटी पर्याप्त बनी हुई है, जिससे डेट मार्केट में अल्पकालिक यील्ड को समर्थन मिल रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक व्यापार संबंधी चुनौतियों और टैरिफ दबावों के बावजूद India के मैक्रो फंडामेंटल बेहतरीन जीडीपी वृद्धि, सौम्य मुद्रास्फीति और एक सहायक नीतिगत पृष्ठभूमि के साथ मजबूत और बेहतर बने हुए हैं.
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