सहारनपुर, 12 जून . कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी के नेता राजीव राय पर जमकर हमला बोला. राजीव राय ने इमरान को भाजपा का स्लीपर सेल बताया था, जिससे नाराज इमरान ने सपा पर मुसलमानों के मुद्दों को दबाने और उन्हें केवल वोट बैंक मानने का आरोप लगाया. उन्होंने इस दौरान समाजवादी पार्टी को खरी-खोटी सुना दी.
इमरान मसूद ने कहा, “मुसलमान सिर्फ दरी बिछाने के लिए पैदा नहीं हुआ. भारतीय जनता पार्टी का स्लीपर सेल बताना बहुत आसान है, कोई भी आदमी मुद्दे की बात करेगा तो आप उसे भाजपा का स्लीपर सेल बता देंगे. भाजपा के साथ हमारा कभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोई अलायंस नहीं हो सकता है, लेकिन समाजवादी पार्टी का हो सकता है, आपके लिए रास्ता खुला है.”
उन्होंने कहा कि हमने मुस्लिम के विषय में अगर कोई बात उठाई है तो आप सिर्फ उसे वोट बैंक समझने का काम कर रहे हैं, मुसलमान की बोलती हुई आवाज को खामोश कर दिया गया, तबाही और बर्बादी सिर्फ हमारे रिश्ते में आती है.
साल 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि मुसलमान ने एकतरफा वोट दिया, लेकिन बदले में बर्बादी झेलनी पड़ी. उन्होंने रिजवान जैदी, इरफान सोलंकी और आजम खान की जेल यात्रा का उदाहरण दिया. उन्होंने अली महमूदाबाद मामले और वक्फ अमेंडमेंट बिल पर समाजवादी पार्टी की चुप्पी को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि वक्फ अमेंडमेंट बिल पर समाजवादी पार्टी ने संसद में संशोधन तक नहीं रखा. सदन में जिस तरह से खड़े होकर हंसी हो रही थी, वह भी पूरी दुनिया देख रही थी और सवाल कर रही थी.
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी कब तक मुसलमान को बेवकूफ समझेगी. अगर हमारा वोट समाजवादी पार्टी को चाहिए तो मुसलमान के मामलों पर समाजवादी पार्टी को बोलना भी पड़ेगा. उन्होंने सवाल उठाया कि सलारपुर दरगाह पर हमलों और शहीदों के मुद्दे पर समाजवादी पार्टी की खामोशी क्यों? इस पर समाजवादी पार्टी की तरफ से कोई एक्शन नहीं आया.
उन्होंने कहा, “अगर मैं मुसलमानों की बात करता हूं तो मुझे भाजपा का एजेंट कहा जाता है. हमारी आवाज कौन उठाएगा?” इमरान ने जोर देकर कहा कि मुसलमान समाजवादी पार्टी को वोट देते हैं और उसी से सरकार बनाने की उम्मीद रखते हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर पार्टी मुसलमानों के मुद्दों पर नहीं बोलेगी, तो उन्हें अपनी आवाज खुद उठानी पड़ेगी.
इमरान के इस बयान ने समाजवादी पार्टी के भीतर तनाव को उजागर किया है. यह विवाद पार्टी की मुस्लिम वोट बैंक रणनीति और नेतृत्व के रवैये पर सवाल उठा रहा है.
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एएसएच/एकेजे