इमरान खान ने मरियम नवाज पर जेल में सुविधाएं न देने का लगाया आरोप, केस दर्ज करने की मांग

इस्लामाबाद, 26 अगस्त . पाकिस्तान के पूर्व Prime Minister और पीटीआई के संस्थापक इमरान खान ने रावलपिंडी सिटी पुलिस ऑफिसर (सीपीओ) को पत्र लिखकर पंजाब की Chief Minister मरियम नवाज़ और आठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है.

इमरान खान के वकील तबिश फारूक ने सीपीओ खालिद हमदानी को भेजी अर्जी में आरोप लगाया है कि मरियम नवाज़ के निर्देश पर जेल में इमरान खान को मानक सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. इसमें अदियाला जेल के अधीक्षक, एएसपी ज़ैनब, एसएचओ ऐज़ाज़ और जेल चौकी इंचार्ज समेत आठ लोगों को नामजद किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि इमरान खान की जेल कोठरी में बिजली नहीं है और उनके परिवार को उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है. इसमें दावा किया गया कि उन्हें “लगातार अंधेरे में रखा जाता है” और यह सब मरियम नवाज़ के निर्देश पर किया जा रहा है.

अर्जी में यह भी उल्लेख है कि अदियाला जेल पंजाब सरकार के अधीन आती है और मरियम नवाज़ पहले इमरान खान को “गद्दार” कहकर धमकी दे चुकी हैं. इसमें आरोप लगाया गया कि एएसपी ज़ैनब, एसएचओ ऐज़ाज़ और चौकी इंचार्ज ने इमरान खान की बहनों को मिलने से रोककर अदालत के आदेश का उल्लंघन किया है.

पीटीआई ने पिछले महीने भी इमरान खान के जेल हालात पर चिंता जताई थी. पार्टी ने दावा किया था कि उन्हें “डेथ सेल” में रखा गया है और लगभग पूरी तरह से एकांत में कैद कर दिया गया है.

17 जुलाई को पीटीआई के केंद्रीय सूचना सचिव शेख वक़ास अक़रम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि इमरान खान को रोज़ाना 22 घंटे अकेले रखा जाता है, उन्हें अखबार, टीवी, किताबें तक नहीं दी जातीं और उनके वकीलों व करीबी सहयोगियों से भी नहीं मिलने दिया जाता. उन्होंने इसे “मानसिक प्रताड़ना” और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया था.

अक़रम ने कहा कि इमरान खान को अदालत द्वारा अनुमति दिए गए छह लोगों से मिलने का हक भी छीना जा रहा है, जो अदालत की अवमानना है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी बुशरा बीबी पर भी यही पाबंदियां लगाई गई हैं और उन्हें परिवार से मिलने से रोका जा रहा है.

उन्होंने न्यायपालिका से अपील की कि कार्यपालिका की खुलेआम अवमानना के बीच अदालतें अपनी “डगमगाती साख और स्वतंत्रता” को बहाल करें. उन्होंने कहा, “न्यायिक आदेशों का उल्लंघन सिर्फ अदालतों का अपमान नहीं, बल्कि पूरे न्याय प्रणाली का अपमान है.”

डीएससी/